रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने पूरी दुनियाभर के देशों को एक नई वैश्विक रणनीति पर काम करने पर मजबूर कर दिया है। रूस और यूक्रेन की इस जंग को लेकर जहां दुनिया दो खेमों में बैठी हुई है, वहीं भारत की बात करें तो नई दिल्ली इसमें संतुलन बनाने की कोशिश पहले दिन से कर रही और काफी हद तक सफल भी रही है! जहां रूस और यूक्रेन अभी भी किसी समझौते की तरफ बढ़ते नजर नहीं आ रहे हैं तो दूसरी तरफ भारत ने दुनिया में शांति कायम करने के लिए बड़ी भूमिका तैयार कर रखी है।
दुनिया के शक्तिशाली देश भी भारत की भूमिका को अच्छे से जानते हैं और इसीलिए ब्रिटेन से लेकर रूस, चीन से लेकर अमेरिका सभी के मंत्रियों का नई दिल्ली पहुंचने का सिलसिला लगातार चल रहा है। युद्ध में भारत की बात करें तो इसमें भारत ने अपना संतुलन शुरू से बनाया हुआ है। वह लगातार शांति की बात कर रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र में ही यूक्रेन के पक्ष में भी वोटिंग से दूर रहा था और उसने रूस के पक्ष में भी वोटिंग से दूरी बनाई थी। भारत अब दुनिया में शांति कायम करने के लिए एक केंद्र के रूप में तैयार हो चुका है। अगले दो-तीन दिन कूटनीतिक लिहाज से बेहद अहम भी हैं।
रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव का अचानक भारत दौरा इस दौरे की अहमियत को अपने आप बयां करता नजर आ रहा है। ऑस्ट्रिया, ग्रीस, चीन के विदेश मंत्रियों ने हाल ही में भारत का दौरा किया था और आज अमेरिकी डिप्टी एनएसए, रूसी विदेश मंत्री और ब्रिटेन की विदेश सचिव भारत के दौरे पर हैं। इससे साफ है कि ये सभी देश भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देने में कोई कसर नही छोड़ना चाहते हैं।
अब अगले 3 दिन तक भारत की राजधानी दिल्ली में यूक्रेन मुद्दे पर गहमागहमी बनी रहने वाली है। इस वक्त अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करने के लिए भारत में हैं। आर्थिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी में कई मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए उनका भारत का दौरा अहम है। रूस पर लगाए जा रहे अमेरिकी प्रतिबंधों में दलीप सिंह की अहम भूमिका रही है। जहां एक तरफ कयास लगाए जा रहे हैं कि दलीप सिंह अपने दौरे के दौरान रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के पैमाने और दायरों के बारे में भारत को जानकारी देंगे। तो दूसरी तरफ रूस के विदेश मंत्री खुद भारत के साथ व्यापार को मजबूत करने के लिए पहुंचे हुए हैं। भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरण की खरीद के लिए भुगतान प्रणाली पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसलिए पूरी दुनिया की निगाहें इस बैठक पर रहने वाली हैं।
इन्हीं मुलाकात के दौर के समय में ब्रिटेन की विदेश सचिव एलिजाबेथ ट्रस आज 31 मार्च को भारत दौरे पर आ रही हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि एलिजाबेथ ट्रस विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच आपसी हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। इसी के साथ मेक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एब्रार्ड कैसाबोन अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं। वर्तमान में, मेक्सिको, लैटिन अमेरिका में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और यह 2021-22 की अवधि के लिए भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है। दोनों देश आपस में अपने संबंधों की व्यापक समीक्षा करेंगे और वार्ता के दौरान पारस्परिक हित के अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
पिछले कुछ समय की बात करें तो अमेरिका की राजनीतिक मामलों की उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नुलांड भी इसी महीने भारत दौरे पर आई थीं। उधर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी 25 मार्च को भारत दौरे पर आए थे। यह तो साफ है कि रूस-यूक्रेन संकट के बीच दुनिया के तमाम बड़े नेताओं की नजर भारत पर है खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी इस संकट का कोई समाधान निकाल लेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने जहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से दो बार बात की, वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी बात की है। प्रधानमंत्री मोदी ने 24 फरवरी से रूस के सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से 12 बार यूक्रेन के पड़ोसी देशों के राष्ट्र प्रमुखों से बात की है। यूक्रेन संकट के बाद इन नेताओं से हुई बात-
प्रधानमंत्री मोदी की शख्सियत और व्यक्तित्व की पूरी दुनिया कायल है। पीएम मोदी ने जिस तरह से भारत की छवि को पूरी दुनिया में पेश किया है, उसने दुनिया भर के नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी का मुरीद बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में देश का नेतृत्व संभालने के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत के दूत बने हुए हैं। अब इसी छवि को अब पूरी दुनिया समझ रही है। यह बात इन देशों से आने वाले दूत भी समझते हैं।
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