नई दिल्ली : NEET-PG counseling 2021 में देरी को लेकर हड़ताल पर गए डॉक्टर्स अपना आंदोलन वापस लेंगे। FORDA अध्यक्ष डॉ. मनीष ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी और बताया कि ITO पर प्रदर्शन के सिलसिले में जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया था, उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और दोपहर 12 बजे के बाद वे हड़ताल वापस ले लेंगे। इस संबंध में हड़ताली डॉक्टर्स को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से पहले ही आश्वासन मिल चुका है।
NEET-PG counseling 2021 में देरी के खिलाफ रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल को देश के कई अन्य हिस्सों से भी समर्थन मिल रहा था। इस मसले पर पर मंगलवार (28 दिसंबर) को फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मिला था, जिसमें उन्होंने नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द शुरू किए जाने को लेकर आश्वासन दिया था।
केंद्रीय मंत्री से मिले आश्वासन के बाद जहां एम्स दिल्ली के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल का अपना फैसला वापस ले लिया था, वहीं फोर्डा ने मंत्री के जवाब को 'असंतोषजनक' करार देते हुए हड़ताल जारी रखने की बात कही थी। एम्स दिल्ली के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने 29 दिसंबर (बुधवार) को हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की थी। वहीं, हड़ताली डॉक्टर्स से मुलाकात के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि चूंकि यह मसला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए सरकार इस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं ले सकती। मामले की सुनवाई 6 जनवरी को कोर्ट में होनी है, जिसके बाद नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द शुरू किए जाने की संभावना है।
इससे एक दिन पहले 28 दिसंबर को रेजीडेंट डॉक्टर्स ने दिल्ली में व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के हाथों में 'हमें न्याय चाहिए', 'पहले हम पर फूल बरसाए, फिर हमें FOOL बनाया' जैसे नारे लिखी तख्तियां थीं। जगह-जगह कानून-व्यवस्था की बहाली के मद्देनजर पुलिस की तैनाती भी की गई थी। फोर्डा ने देर रात जारी बयान में आरोप लगाया था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद भी दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के साथ ज्यादती की और संबंधित पक्षों ने इसके लिए माफी भी नहीं मांगी। रेजीडेंट डॉक्टर्स ने दिल्ली पुलिस पर मारपीट का आरोप भी लगाया था और उनके साथ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया गया।
दिल्ली पुलिस ने हालांकि लाठीचार्ज या अभद्र भाषा के इस्तेमाल के आरोपों से इनकार किया था। प्रदर्शन के बाद 12 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने उनके खिलाफ कोविड उल्लंघन, दंगा फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था, जिसे अब वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। फोर्डा अध्यक्ष डॉ. मनीष के मुताबिक, गुरुवार रात उनकी इस मसले पर ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर से मुलाकात हुई, जिसके बाद FIR वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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