बालासोर (ओडिशा) : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी तकनीक से विकसित पिनाका रॉकेट के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण किया है, जो दुश्मनों के होश उड़ा देने वाला है। युद्ध जैसी स्थिति में इसे बेहद कारगर समझा जाता है और सैन्य क्षमता में जबरदस्त इजाफा करता है। यह 45 किलोमीटर तक अपने लक्ष्य को भेद सकता है। इससे पहले इस रॉकेट की रेंज 37 किलोमीटर थी।
पिनाका रॉकेट के उन्नत संस्करण का परीक्षण गुरुवार और शुक्रवार को किया गया। ओडिशा तट के पास चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण केंद्र (ITR) से कुल 25 पिनाका रॉकेट परीक्षण किया गया, जो अलग-अलग दूरी पर लक्ष्य को सटीकता से भेदने में कामयाब रहे। अधिकारियों के मुताबिक, 122 एमएम कैलिबर रॉकेट को मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) से छोड़ा गया।
पिनाका रॉकेट ने कितनी सटीकता से निशाना साधा, इसकी निगरानी विभिन्न उपकरणों के जरिये की गई। पिनाका एक मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम है, जिससे महज 44 सेकंड्स में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं। इसकी स्पीड 5757.70 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानी यह एक सेकंड में 1.61 किलोमीटर की रफ्तार से हमला करता है और दुश्मन को इतना भी मौका नहीं देता कि वह पीछे हट सके।
पिनाका रॉकेट सिस्टम की एक बैटरी में छह लॉन्च व्हीकल के साथ-साथ लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्टम तथा एक कमांड पोस्ट भी होती है। एक बैटरी के जरिये एक किलोमीटर के क्षेत्र को ध्वस्त किया जा सकता है। युद्ध जैसी स्थिति में इसे बेहद कारगर समझा जाता है। इस पर हाई एक्सप्लोसिव फ्रेगमेंटेशन (HMX), क्लस्टर बम, एंटी-पर्सनल, एंटी-टैंक और बारूदी सुरंग उड़ाने वाले हथियार लगाए जा सकते हैं।
चर्चा है कि इस रॉकेट सिस्टम को पाकिस्तान से लगने वाली सीमा के पास तैनात किया जा सकता है। कारगिल युद्ध के दौरान भी इसकी अहमियत देखने को मिली थी, जब इसे ट्रक पर लोड करके ऊंचाई वाले इलाकों में भेजा गया था और इसने दुश्मन के ठिकानों की ध्वस्त कर दिया था। उन्हें पहाड़ पर बनाए बंकरों को छोड़कर भागना पड़ा था या वे मारे गए। इस रॉकेट का नाम पिनाका भगवान शिव के धनुष 'पिनाक' पर रखा गया है।
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