लखनऊ। देश के अलग अलग राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश भी कोरोना का सामना कर रहा है। यूपी में कोरोना के केस 4 हजार के पार हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि स्वस्थ होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ी है। हाल ही में प्रवासी मजदूरों के राज्य में वापस आने की वजह से कुछ मामले बढ़े हैं। उदाहरण के लिए बाराबंकी जिले को ग्रीन से दोबारा रेड जोन में डाल दिया गया है। इन सबके बीच कर्मचारी हड़ताल न कर पाएं इसके लिए एस्मा लगाने का फैसला किया गया है। इसके तहत कोई भी राज्य कर्मचारी अगले 6 महीने तक हड़ताल नहीं कर पाएगा।
राज्य सरकारें .या केंद्र इस कानून को अधिकतम 6 महीने के लिए लगा सकता है। इस कानून का इस्तेमाल उस समय किया जाता है जब आपदा जैसे हालात हों या सरकारों को लगता हो कि ऐसा करना राज्य या देश के लिए उचित होगा। जब एस्मा लागू हो जाता है कि अनिवार्य तौर पर कर्मचारियों को इसका पालन करना होता है। अगर कोई कर्मचारी इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है यहां तक कि बिना वारंट गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
संकट के हालात से निपटने के लिए यह कानून 1968 में संसद ने पारित किया था। इसका मकसद सिर्फ इतना था कि अगर राज्य या केंद्र को लगता है कि ऐसे हालात पैदा हो गए हैं जिसकी वजह से सामान्य सेवा बहाल रखने के रास्ते में कर्मचारी रोड़ा न बनें। इसके लिए जो कर्मचारी प्रभावित होते हैं या होने की संभावना होती है उन्हे पहले ही सूचित कर दिया जाता है। सरकारें आमतौर पर एस्मा का इस्तेमाल नहीं करती है। इस समय राज्य के सामने कोरोना जैसी आपदा है लिहाजा योगी आदित्यनाथ सरकार ने एस्मा लगाने का फैसला किया।
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