EXCLUSIVE : अमेरिका से भारत को मिलेंगे 30 प्रीडेटर ड्रोन, 'गेमचेंजर' हथियार प्रणाली की खरीद पर DPB आज लगा सकता है मुहर 

रक्षा सचिव अजय कुमार की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय रक्षा खरीद बोर्ड (डीपीबी) जिसमें सेना, नौसेना एवं वायु सेना के वाइस चीफ्स एवं रक्षा अनुसधान विकास संगठन (डीआरडीओ) शामिल है। समझा जाता है कि बोर्ड 30 प्रीडेटर ड्रोन की खरीदने के लिए आज अपनी मंजूरी दे देगा।

EXCLUSIVE : Defence Procurement Board to clear purchase of 30 Predators drone today
अमेरिका से भारत को मिलेंगे 30 प्रीडेटर ड्रोन। -प्रतीकात्मक तस्वीर। 
मुख्य बातें
  • अमेरिका से 30 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए डीपीबी आज दे सकता है अपनी मंजूरी
  • अमेरिका पहली बार किसी गैर-नाटो देश को अपना यह अचूक हथियार देगा
  • अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर अपनी काबिलियत दिखा चुका है प्रीडेटर ड्रोन

नई दिल्ली : भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को और मजबूती देने के लिए सोमवार को एक बड़ी पहल हो रही है। दरअसल, महीनों तक अमेरिका के साथ चली बातचीत और भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में विचार-विमर्श के बाद एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की दिशा में भारत ने पहला बड़ा कदम बढ़ा दिया गया है। प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए आज उच्च स्तरीय बैठक हो रही है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर पहले ही अपनी काबिलियत दिखा चुका यह ड्रोन जल्द ही भारतीय सशस्त्र सेनाओं को मिल सकता है। एमक्यू-1 प्रीडेटर अत्याधुनिक ड्रोन है, जिसे दूर से मिशन पर रवाना किया जा सकता है। इस ड्रोन की एक बड़ी खासियत है कि यह अपने साथ मिसाइल भी ले जा सकता है।

30 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए आज मिल सकती है मंजूरी

रक्षा सचिव अजय कुमार की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय रक्षा खरीद बोर्ड (डीपीबी) जिसमें सेना, नौसेना एवं वायु सेना के वाइस चीफ्स एवं रक्षा अनुसधान विकास संगठन (डीआरडीओ) शामिल है। समझा जाता है कि बोर्ड 30 प्रीडेटर ड्रोन की खरीदने के लिए आज अपनी मंजूरी दे देगा। ये 30 ड्रोन 10-10 की संख्या में सेना, नौसेना और वायु सेना को मिलेंगे। सेना को मिलने वाले प्रीडेटर ड्रोन हेलफायर मिसाइलों से लैस होंगे। डीपीबी से खरीद के लिए हरी झंडी मिलने के बाद इसे मंजूरी के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद के पास भेजा जाएगा। इस परिषद की अगुवाई तीनों सेनाओं के प्रमुख सहित रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करते हैं। 

प्रीडेटर ड्रोन को माना जाता है 'गेमचेंजर' 

प्रीडेटर ड्रोन को 'गेमचेंजर' माना जाता है। इस ड्रोन की खासियत, क्षमता एवं अपनी जरूरतों को देखत हुए भारत सरकार कि नजर इस ड्रोन पर है। अभी सरकार ने अरबों डॉलर की लागत से 30 ड्रोन खरीदने का फैसला किया है। इस ड्रोन के मिल जाने से भारत की सैन्य ताकत काफी बढ़ जाएगी। इस ड्रोन की मदद से सेना दुश्मन के सामरिक रूप से अहम ठिकानों को ढूढकर नष्ट कर सकती है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर प्रीडेटर ड्रोन अपनी काबिलियत साबित कर चुका है। अमेरिकी सेना ने डूरंड लाइन के पास आतंकियों को मार गिराने के लिए व्यापक रूप से इस प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल किया। 

गैर-नाटो देश को पहली बार यह हथियार देगा अमेरिका

इस ड्रोन खरीद पर आगे बढ़ने के साथ-साथ डीपीबी 'मेंटिनेंस एंड रिपेयर ऑर्गनाइजेशन' बनाने पर भी विचार करेगी। इसे बनाने के पीछे मकसद यह है कि ये 30 प्रीडेटर ड्रोन इस्तेमाल के लिए देश में आसानी से उपलब्ध रहें, इन्हें रखरखाव एवं मरम्मत के लिए अमेरिका भेजने की जरूरत न पड़े। सबसे बड़ी खास बात यह है कि अमेरिका पहली बार एक गैर-नाटो देश को इस तरह की हथियार प्रणाली दे रहा है। प्रीडेटर ड्रोन की मारक क्षमता 1200 किलोमीटर है और यह हवा में लंबे समय तक रह सकता है। यह 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के साथ-साथ अपने साथ दो हेलफायर मिसाइलें ले जा सकता है। ये मिसाइलें काफी सटीक एवं प्रभावी साबित हुई हैं। 

(Times Now के नेशनल अफेयर एडिटर सृंजॉय चौधरी की रिपोर्ट।)

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