नई दिल्ली : सीमा पर तनाव को देखते हुए भारत अपनी रक्षा तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता। रक्षा जरूरतों को देखते हुए विदेशों से हथियार, रक्षा उपकरण एवं निगरानी प्रणाली खरीदने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की अमेरिका से 30 जनरल एटॉमिक एमक्यू-9बी गॉर्डियन ड्रोन खरीदने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि यह डील करीब तीन अरब डॉलर (22,000 करोड़ रुपए) की होगी।
'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के मुताबिक इस डील को लेकर एमओडी में कई बैठकें हो चुकी हैं और शुरुता में छह रीपर मीडियम अल्टीट्यूड लॉन्ग एंडुरेंस ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव है। अमेरिका से आने वाले ये छह ड्रोन दो-दो की संख्या में सेना, नौसेना और वायु सेना को दिए जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में रक्षा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक होनी है। इस बैठक में 30 ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव रखा जाएगा। यह डील दो चरणों में होगी।
पहली डील के तहत 600 मिलियन डॉलर (4,400 करोड़ रुपए) की लागत में छह एमक्यू-9 के ड्रोन खरीदे जाएंगे और इनकी आपूर्ति अगले कुछ महीनों में होगी। इसके बाद शेष बचे हुए 24 ड्रोन अगले तीन सालों में हासिल किए जाएंगे। ये 24 ड्रोन आठ-आठ की संख्या में तीनों सेनाओं को उपलब्ध होंगे। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह डील पिछले तीन सालों से सरकार की पाइपलाइन में है। इस ड्रोन की कुछ खासियतें इस प्रकार हैं-
भारत के पास इन अमेरिकी ड्रोन के आ जाने पर भारतीय सेना को चीन पर बढ़त प्राप्त होगी। इन ड्रोन के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की सैन्य गतिविधियों की निगरानी करना और खुफिया जानकारी जुटाना आसान हो जाएगा। इसे देखते हुए भारत जल्द से जल्द इन प्रीडेटर ड्रोन्स को अपने बेड़े में शामिल करना चाहता है। इनके अलावा भारत रूस से मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई की नई खेप लेने वाला है। रूस से वायु रक्षा प्रणाली एस-400 की आपूर्ति जल्द करने की मांग भी की जा चुकी है।
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