नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लगभग 3 महीने पूरे होने वाले हैं। किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस बीच किसानों ने विरोध करने का नया तरीका निकाल लिया है। दरअसल, वो अपनी खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा से ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां किसानों ने अपनी खेती बर्बाद कर दी। ये तब सामने आया है जब हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों से आंदोलन को महत्व देने का आग्रह किया था और कहा था कि अगर जरूरत पड़े तो फसलों को नष्ट कर दें।
हालांकि जब इस तरह की वीडियो सामने आए जहां किसान अपनी फसलों में ट्रैक्टर चला रहे हैं तो टिकैत ने कहा कि ऐसा न करें। एक किसान अपनी फसल पर ट्रैक्टर चला रहा है और इसका वीडियो सामने आया तो टिकैट ने ट्वीट किया, 'किसान से अपील है कि ऐसा मत करे। यह करने ले लिए नही कहा गया था।'
सबसे पहले उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक किसान ने कृषि कानूनों के विरोध में अपनी छह बीघा जमीन में गेंहू की खड़ी फसल ट्रैक्टर चलाकर रौंद दिया। तीन कृषि कानूनों को वापस न लेने से गुस्साए सोहित ने अपने खाने के लिए सात बीघा गेंहू की फसल बचाकर बाकि छह बीघा गेंहू की फसल खेत में ही ट्रैक्टर से जोत दी। इसका वीडियो भी जारी किया गया जिसमें सोहित ट्रैक्टर से गेंहू की फसल जोतता हुआ दिखाई दे रहा है।
कई जगह फसलों को किया नष्ट
बाद में खबर आई कि हरियाणा के जींद जिले के गुलकनी गांव के एक किसान ने अपनी दो एकड़ भूमि में खड़ी गेहूं की फसल की ट्रैक्टर से जुताई कर दी। जिले के गुलकनी निवासी राममेहर रविवार को ट्रैक्टर लेकर अपने खेत में पहुंचा और दो एकड़ में लगी फसल की जुताई कर दी। इस दौरान राम मेहर के परिवार की महिलाओं के अलावा काफी संख्या में किसान भी खेत में पहुंचे थे। दस एकड़ की खेतीबाड़ी करने वाले राम मेहर ने बताया कि अगर फसल को पकाव की तरफ ले जाता हूं तो खर्च ज्यादा बढ़ेगा और आगे भाव भी सही मिलने की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने बताया कि फसल के भंडारण करने का उसके पास कोई संसाधन नहीं है। राम मेहर ने कहा कि इससे अच्छा है कि फसल को पकने से पहले ही नष्ट कर दिया जाए, ताकि नुकसान से बचा जा सके।
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'ये आत्महत्या करने जैसा कदम'
इसके अलावा और भी जगहों से फसलों को नष्ट करने के वीडियो सामने आए। वहीं इस पर भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, 'नुकसान तो हमारा हो रहा है, लेकिन वह भगवान की दी हुई फसल है, हम उसे बच्चे की तरफ से पालते हैं। बहुत निराशा के माहौल में इस तरह का कदम उठाया जाता है। ये एक आत्महत्या जैसा कदम है, जिन किसानों ने ऐसा किया है, हमने उन्हें मना किया है।'
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