केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों की वापसी पर अमलीजामा पहनाये जाने के बाद सिंघू बार्डर पर एसकेएम की बैठक संपन्न हुई। उस बैठक के बाद आंदोलन के भविष्य पर फैसला करने के लिए किसानों से सात दिसंबर की तारीख दे दी। हालांकि सरकार से बातचीत करने के लिए पांच सदस्यों वाली कमेटी का गठन भी किया है। एसकेएम की तरफ से जो समिति बनाई गई है उसमें बलवीर सिंह राजोवाल, युद्धवीर सिंह, शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, अशोक धावले शामिल हैं। हालांकि इस टीम में राकेश टिकैत शामिल नहीं हैं।
एमएसपी के अलावा कई और मुद्दे
हालांकि बैठक से पहले एक और किसान नेता दर्शन पाल ने कहा था कि अभी तो यह देखना होगा कि केंद्र सरकार जो समिति बनाएगी उसके पास अधिकार क्या होंगे। बातचीत का मसौदा क्या होगा। अभी हम लोग केंद्र सरकार के रुख को देख रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा का भी मानना है कि कृषि बिल पर समग्र तौर पर सोचने की जरूरत है जिसमें सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो सके। किसानों ने कहा कि एमएसपी उनके लिए बड़ा मुद्दा है। लेकिन उसके अतिरिक्त कई और विषय है जिस पर चर्चा होनी है
किसान संगठनों में बातचीत को लेकर कई राय
कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि वो सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे विषय हैं जिस पर बातचीत करने की जरूरत है। किसानों की प्रमुख मांगों में एमएसपी को लीगल गारंटी, किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए मुआवजा और किसानों पर केस वापसी का मुद्दा है। बता दें कि इससे पहले हरियाणा के किसान नेताओं ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में सीएम मनोहर लाल खट्टर से बातचीत की थी।
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