Farms Laws: किसान संगठनों की अहम बैठक आज, केंद्र के प्रस्ताव पर क्या नरम पड़ेंगे किसान

देश
ललित राय
Updated Dec 26, 2020 | 00:19 IST

किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार के साथ साथ बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी मोर्चा संभाल लिया है।इस बीच किसान संगठनों की अहम बैठक शनिवार को होने जा रही है।

कृषि कानून पर किसान संगठन और सरकार दोनों के तेवर एक जैसे, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष को दिलाई याद
31 दिन से किसान संगठन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन पर हैं। 
मुख्य बातें
  • किसान संगठन, कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की मांग कर रहे हैं
  • केंद्र सरकार का वादा, किसानों से खुले दिल से बातचीत करने के लिए तैयार
  • किसानों का कहना है कि सरकार की नीति और नीयत दोनों में खामी

नई दिल्ली। एमएसपी, मंडी समिति के साथ साथ किसानों की मांग अब सिर्फ यही है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे उसके बाद ही बातचीत की जाएगी। पिछले 31 दिन से किसान संगठन दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि वो खुले मन से हर मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन गतिरोध बरकरार है। 25 दिसंबर को पीएम किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त जारी किए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भरोसा दिया कि किसानों का अहित नहीं होने दिया जाएगा। इस बीच किसान संगठन आज एक बार फिर अहम बैठक करने जा रहे हैं। 

शनिवार को किसानों एक और बैठक
केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान यूनियनों ने बातचीत के लिए सरकार की नयी पेशकश पर विचार के लिए शुक्रवार को बैठक की। संगठनों में से कुछ ने संकेत दिया कि वे मौजूदा गतिरोध का हल खोजने के लिए केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला कर सकते हैं।यूनियनों ने कहा कि शनिवार को उनकी एक और बैठक होगी जिसमें ठहरी हुयी बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र के न्यौते पर कोई औपचारिक फैसला किया जाएगा।केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा कि सरकार को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक दो-तीन दिनों में हो सकती है।

प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं में से एक ने नाम उजागर नहीं करने की इच्छा के साथ कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की उनकी मांग बनी रहेगी।उन्होंने कहा, ‘‘ केंद्र के पत्र पर फैसला करने के लिए कल हमारी एक और बैठक होगी। उस बैठक में, हम सरकार के साथ बातचीत फिर शुरू करने का फैसला कर सकते हैं क्योंकि उसके पिछले पत्रों से प्रतीत होता है कि वह अब तक हमारे मुद्दों को नहीं समझ पाया है।’’उन्होंने कहा कि सरकार के पत्रों में कोई प्रस्ताव नहीं है और यही वजह है कि किसान संगठन नए सिरे से बातचीत करने और उन्हें अपनी मांगों को समझाने का फैसला कर सकते हैं।

निर्मला सीतारमण ने विपक्ष को दी नसीहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि  2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों ने किसानों को राहत देने के लिए तीन कृषि कानून को महत्वपूर्ण बताया। चूंकि सरकार ने जो कानून पारित किया है, वह उनका नहीं है, बल्कि मोदी जी का है, वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते और इसका विरोध कर रहे हैं।

किसानों के साथ खड़ी है सरकार
इसके साथ ही हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील है कि मंच पर आकर सरकार से बात करें। इन बिलों में उन्हें जो ऐतराज़ है, उसपर बात करें। सरकार मानने के लिए तैयार है, सरकार ने कई प्रावधानों को बदलने के लिए कहा भी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी लगातार किसानों के पक्ष  में खड़ी रही है ऐसे में कोई ऐसा फैसला नहीं किया जा सकता है कि जिसकी वजह से किसानों के सामने परेशानी आए

 

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