Dehradun: उत्तराखंड में इन दिनों भर्तियों को लेकर सियासी माहौल गर्म है। इस बीच उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। हालांकि विभाग ने ऐसे आरोपों को सिरे से नकार दिया है। उद्यान विभाग पर घोटाले के आरोप लगाने वाले समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट दीपक करगेती के खिलाफ विभाग की ही महिला कर्मचारी से अभद्रता के आरोप में देहरादून कैंट में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अपने खिलाफ हुई एफआईआर को झूठा बताते हुए दीपक करगेती ने राजधानी के गांधी पार्क में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
दीपक करगेती ने टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए आरोप लगाया कि, 'मैं अप्रैल माह से लगातार आवाज उठा रहा हूं कि वर्तमान में खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग के निदेशक द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। मैंने इसके खिलाफ चौखटिया से लेकर गैरसैंण तक पदयात्रा भी की। मैंने विजिलेंस को भी सारे साक्ष्य औऱ सबूत भेजे। मेरे द्वारा एक पूर्व में सूचना मांगी गई थी जो जवाब इन्होंने दिया था उससे मैं संतुष्ट नहीं था। मैंने प्रथम अपीलीय अधिकारी से अपील लगाई थी। उसके बाद मुझे 31 अगस्त को सर्किट हाउस दफ्तर में बुलाया गया था उसमें जिस पर आरोप लगे थे, वो लोक सूचना अधिकारी के साथ मौजूद थे। चार पुरुष एक महिला कर्मचारी थे। यहां सब कुछ डिस्कशन होने के बाद इसके दो घंटे बाद मेरे पास कैंट थाने से कॉल आता है कि आपके खिलाफ उद्यान विभाग की महिला कर्मचारी ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। नशा करने का आरोप लगाया । मैं खुद थाने गया और वहां मुझे बैठाए रखा, मैंने मांग की कि मेरा मेडिकल कराया जाए लेकिन नहीं कराया गया। बाद में मुझे डांट लगाते हुए भगा दिया गया। मुझे कल आने को कहा गया जिसके बाद मैंने 1 तारीख से आमरण अनशन शुरू कर दिया।'
वहीं टाइम्स नाउ नवभारत ने इस संबंध में जब उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग के निदेशक एच.एस. बवेजा से बात की और दीपक के आरोपों पर उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा, 'RTI अपील लगी हुई थी और मैं भी वहां पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उपस्थित था। जो रिकॉर्ड को मेंटेन करती हैं महिला कर्मचारी, वो रिकॉर्ड दिखा रही थीं। हमने पेजेज (पृष्ठ) भी एक्स्ट्रा दिए थे। उसके बाद क्या हुआ कि पेपर दिखाते हुए दीपक ने महिला से कहा कि लगता है कि आप पर बहुत ज्यादा दवाब है। महिला ने कहा कि दवाब क्यों होगा, अगर मेरे पर दवाब होता तो मैं आपको 426 कागज क्यों एक्सट्रा देती। तो दीपक 45 पेजेज के लिए बोलते गए कि ये चाहिए, लेकिन ये नहीं बता पाए कि वो 45 पेजेज कौन से हैं। हमारा कहना था कि हमने तो सारे 426 कागज दे दिए हैं इनको, तो महिला के साथ दूसरे टोन में आ गए और कहने लगे कि अगर आप पर दवाब है तो मैं सारे कागज वापस ले लेता हूं। उसने दवाब के आरोप का खारिज करते हुए कहा कि आप बताओ कौन से 45 पेज देने हैं वो भी दे देंगे। वो (दीपक) कहने लगे कि मैं सारी आरटीआई वापस ले लूंगा, बस आप एक बार बोल तो दो मुझे। महिला के सामने दीपक ने कागज पर लिखना शुरू कर दिया.... इसके बाद महिला कर्मचारी रोने लगी कि आप मुझे क्यों बोल रहे हो, यहां चारों लोग बैठे हुए। इसके बाद उसके बाद जब कागज खीचा तो उनका हाथ महिला कर्मचारी को लगा। इसके बाद महिला ने थाने जाकर शिकायत दर्ज करा दी। दफ्तर की महिलाएं एकजुट हो गईं। मेरे पर भी भड़क गईं कि आप कैसे निदेशक हैं जो महिला के साथ अभद्रता नहीं रोक पाए।'
जब हमने उद्यान एवं प्रसंस्करण विभाग के निदेशक से पूछा कि नशे के आरोप लगे हैं तो मेडिकल क्यों नहीं करवाया? तो उन्होंने कहा, 'मैं नशे के बारे में तो कुछ नहीं बोल सकता हूं। उनके मुंह से कोई स्मैल नहीं आ रही थी लेकिन उनकी व्यवहार सामान्य नहीं था। दारू वाला नशा तो नहीं था वरना स्मैल आ जाती। लेकिन कुछ गड़बड़ था।' बवेजा ने कहा कि यह महिला कर्मचारी औऱ दीपक के बीच का कानूनी मामला है।
दीपक ने महिला से अभद्रता के आरोप खारिज करते हुए कहा कि मेरे सामने अगर कोई महिला को अपशब्द भी कहता है तो मैं अनशन छोड़कर महिला के पक्ष में खड़ा होऊंगा। सारे आरोप खुद को बचाने के लिए लगाए गए हैं। यहां पर पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर नशे का आरोप लगने के बाद भी क्यों आरोपी का मेडिकल नहीं कराया गया। दीपक ने खुद पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए उद्यान विभाग पर शासनादेश के खिलाफ जाकर काम करने का भी आऱोप लगाया और सरकार से आग्रह किया कि उनकी फाइल पर त्वरित एक्शन लिया जाए और एफआईआर को निरस्त किया जाए।
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