CAA को लेकर AMUSU के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन का बड़बोला बयान कहा-देखना है तो मुसलमानों का सब्र देखिए...

देश
रवि वैश्य
Updated Jan 23, 2020 | 21:50 IST

Former AMUSU President Faizul Hasan:अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने नागरिकता कानून के विरोध को लेकर बड़बोला बयान दिया है।

CAA को लेकर AMUSU के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन का बड़बोला बयान कहा-देखना है तो मुसलमानों का सब्र देखिए...
फैजुल हसन ने कहा कि अमित शाह आएं और हमारे 12वीं क्लास के स्टूडेंट के साथ डिबेट करें 

नई दिल्ली: देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश में विरोध की बयार है और इसको लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं कहीं ये प्रदर्शन खासे हिंसक भी रहे हैं खासतौर पर उत्तर प्रदेश में कई जगह पर। दिल्ली के शाहीन बाग में भी सीएए को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है वहीं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के  के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन का बयान सामने आया है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच बुधवार रात को प्रदशर्नकारियों को संबोधित करते हुए फैजुल हसन ने ये कहा है।

AMUSU के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा है कि सब्र की अगर सीमा देखना चाहते हैं तो 1947 के बाद 2020 तक हिंदुस्तानी मुसलमानों के सब्र की सीमा देखिए। कभी कोशिश नहीं की कि हिंदुस्तान टूट जाए वरना हम उस कौम से हैं कि अगर बर्बाद करने पर आए तो छोड़ेंगे नहीं किसी देश को इतना गुस्सा है।

 

 

वहीं आगे बोलते हुए  फैजुल हसन ने कहा कि अमित शाह आएं और हमारे 12वीं क्लास के स्टूडेंट के साथ डिबेट करें। उम्मीद है वो जीत नहीं पाएंगे। वो पांच प्वाइंट भी दे दें तो मैं उनके साथ खड़ा हो जाऊंगा प्रोटेस्ट करूंगा CAA के पक्ष में।

वहीं गुरुवार को केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री डॉ. मंत्री संजीव बालियान ने मेरठ में नागरिकता कानून के पक्ष में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं राजनाथ जी से निवेदन करूंगा कि जो जेएनयू, जामिया में देश के विरोध में नारे लगाते हैं इनका एक ही इलाज है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश का वहां 10 प्रतिशत आरक्षण करवा दो सबक इलाज कर देंगे। ऐसा करने से किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी।'

बालियान ने आगे कहा, 'अगर ऐसा होता है तो ये कोई नारा नहीं लगा पाएगा और देश के खिलाफ किसी की हिम्मत नहीं होगी नारे लगाने की। ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भूमि है।

जब देश आजाद हुआ तब 7 फीसदी मुस्लिम थे आज 20 फीसदी हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत। तो हिंदू 23 प्रतिशत से 3 प्रतिशत और मुसलमान 7 प्रतिशत से 40 प्रतिशत। अंतर इतना बड़ा है, अपने आप देख लें।'

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