T. N. Seshan: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन का निधन, चुनाव व्यवस्था में किए थे ऐतिहासिक सुधार

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Updated Nov 11, 2019 | 00:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

भारत की चुनाव व्यवस्था में बड़े सुधार करने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन का निधन हो गया है। उन्होंने 87 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।

T. N. Seshan
टीएन शेषन  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • चुनाव व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधारों के लिए मशहूर है टी. एन. शेषन का नाम
  • 87 साल की उम्र में पूर्व चुनाव आयुक्त ने ली अंतिम सांस
  • 1955 बैच, तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी थे शेषन

नई दिल्ली: भारत में चुनाव व्यवस्था में बदलाव के लिए मशहूर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) टी. एन. शेषन (तिरुनेललाई नारायण अय्यर शेषन) का निधन रविवार को 87 साल की आयु में हो गया है। पूर्व चुनाव आयुक्त एस. वाई कुरैशी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। टीएन शेषन 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे और 12 दिसंबर, 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक उन्होंने सेवा दी थी। उन्हें खास तौर पर आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए जाना जाता था।

टीएन शेषन सेवानिवृत्त 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) तमिलनाडु कैडर के अधिकारी थे। शेषन ने इससे पहले 1989 में भारत के 18वें कैबिनेट सचिव के रूप में काम किया था। उन्होंने 1996 में सरकार में अपनी सेवाओं के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी जीता था।

पीएम नरेंद्र मोदी ने टीएन शेषन के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'श्री टीएन शेषन एक उत्कृष्ट सिविल सेवक थे। उन्होंने अत्यंत परिश्रम और निष्ठा के साथ भारत की सेवा की। चुनावी सुधारों के प्रति उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को मजबूत और अधिक सहभागी बनाया है। उनके निधन से पीड़ा हुई। शांति।'

दिसंबर 1932 में केरल के पलक्कड़ जिले के थिरुनेललाई में जन्मे टीएन शेषन भौतिकी में स्नातक थे और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रदर्शक (डेमोस्ट्रेटर) के रूप में तीन साल तक काम किया। टीएन शेषन ने एडवर्ड एस. मेसन फैलोशिप पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया, जहां उन्होंने सार्वजनिक प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की।

शेषन ने राजनेताओं की आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने की प्रवृत्ति के खिलाफ लड़ाई छेड़ी थी। उनके रहते मध्य प्रदेश के एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदान को निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उस समय सेवा दे रहे एक राज्यपाल ने अपने बेटे के लिए प्रचार किया, अंततः राज्यपाल को अपना इस्तीफा देना पड़ा था। चुनाव प्रचार की अवधि खत्म होने के ठीक बाद उत्तर प्रदेश में एक मंत्री को एक रैली में मंच छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

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