पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी को राहत, मृत्युदंड की सजा उम्रकैद में बदली

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Updated Sep 29, 2019 | 23:06 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Beant Singh Assassination Case: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में आरोपी बलवंत सिंह राजोना की मुत्युदंड की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का फैसला किया गया है।

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बेअंत सिंह की हत्यारोपी की सजा मृत्युदंड से उम्रकैद में बदली  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्या के आरोपी की सजा बदली
  • बलवंत सिंह राजोना की मृत्युदंड की सजा उम्रकैद में बदली
  • जल्द ही इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी
  • 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह की कर दी गई थी हत्या

नई दिल्ली : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी बलवंत सिंह राजोना की मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने का फैसला किया गया है। गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी बलवंत सिंह जिसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी उसकी सजा को बदलकर उम्रकैद कर दी गई है। पंजाब से आतंकवाद को खत्म करने के लिए जाने जाने वाले बेअंत सिंह की हत्या 31 अगस्त 1995 को कर दी गई थी।

गृह मंत्रालय से जुड़े अधिकारी ने बताया कि  बलवंत सिंह की मृत्युदंड की सजा को  उम्र कैद में बदलने का फैसला लिया गया है। इस संबंध में जल्द ही औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 31 अगस्त 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की चंडीगढ़ में नागरिक सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में हत्या कर दी गई थी।

इस आतंकी हमले में बेअंत सिंह के अलावा 16 अन्य लोगों की जानें गई थी। इस धमाके में पंजाब पुलिस के कर्मी दिलावर सिंह ने खुद को मानव बम की तरह इस्तेमाल किया था। उनकी योजना थी कि कांग्रेस नेता को मारने के लिए अगर पहला मानव बम धमाका करने में नाकाम रहा तो बब्बर खालसा आतंकी दूसरे नंबर पर धमाका करने वाला था। 

बता दें कि शनिवार को ही गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया था कि पंजाब में अलग-अलग अपराधों देश की अलग-अलग जेलों में सजा काट रहे आठ सिख कैदियों को गुरू नानक जयंती की 550वीं वर्षगांठ पर रिहा किया किया जाएगा। इस मामले में एक अन्य नौवें सिख कैदी जिसे मौत की सजा सुनाई गई थी उसकी सजा में बदलाव कर उम्रकैद में बदल दिया गया था।

रविवार को ये साफ हुआ कि ये कैदी राजोना ही है। राजोना और 8 अन्य कैदी देश के अलग-अलग जेलों में बंद थे। प्रवक्ता ने बताया कि लंबे समय से सिख समुदायों की तरफ से इन कैदियों की रिहाई की मांग की जा रही थी जिसके जवाब में ये फैसला लिया गया है।

राजोना को 31 मार्च 2012 को फांसी की सजा दी जानी थी। हालांकि उसी साल यूपीए की सरकार में 28 मार्च को इस पर रोक लगा दी गई। सिख इकाई शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक के द्वारा दया याचिका दायर किए जाने के बाद यूपीए सरकार ने फांसी पर रोक लगा दी थी। शिरोमणि अकाली दल जो तत्कालीन समय में पंजाब में सत्ता में थी इस फैसले का विरोध किया था। राष्ट्रपति ने इस याचिका को गृह मंत्रालय को सौंप दिया था। 

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