Kalyan Singh: बीजेपी के 'हिंदुत्व' का चेहरा रहे कल्याण सिंह ने वाजपेयी तक को कह दी थी ऐसी बात, आज है जन्मदिन

देश
किशोर जोशी
Updated Jan 05, 2020 | 06:30 IST

उत्तर प्रदेश की सियासत में एक वक्त मजबूत दखल रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का आज जन्मदिन है।

Former Uttar Pradesh CM and BJP Leader Kalyan Singh birthday today
जब कल्याण सिंह ने वाजपेयी तक को कह दी थी ऐसी बात 
मुख्य बातें
  • आज ही के दिन यानि 5 जनवरी, 1932 को कल्याण सिंह का जन्म हुआ था
  • 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से दिया था इस्तीफा
  • दो बार भाजपा छोड़ी, लेकिन 2013 में फिर बीजेपी में आए वापस, 2014 में बने राज्यपाल

नई दिल्ली: बात उत्तर प्रदेश की राजनीति को हो और कल्याण सिंह का जिक्र ना हो, ऐसा हो नहीं सकता है। एक समय था जब उत्तर प्रदेश की सियासत में कल्याण सिंह मजबूत दखल रखते थे और उनकी मर्जी के बगैर बीजेपी में कोई कार्य नहीं होता था। कहा तो ये भी जाता है कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को तक कह दिया था कि पहले एमपी बन पाएंगे तो तभी पीएम बनेंगे। आज ही के दिन यानि 5 जनवरी, 1932 को कल्याण सिंह का जन्म हुआ था।

कई वजहों से चर्चा में रहे कल्याण सिंह

1991 यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को कई वजहों से याद किया जाता है लेकिन कुछ वजहें ऐसी हैं जिनके कारण वह अक्सर याद किए जाते हैं और उनमें से एक है नकल अध्यादेश। मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह के इस अध्यादेश की वजह परीक्षा के दौरान नकल करने वालों के लिए यह मुसीबत बन गया था।  वहीं दूसरी वजह है बाबरी मस्जिद विध्वंस। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहते ही बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तो उसकी शाम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

8 बार रहे विधायक

5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ में जन्मे कल्याण सिंह लोध समाज से ताल्लुक रखते हैं। 30 साल की उम्र में पहली बार जनसंघ के टिकट पर जब कल्याण सिंह ने अलीगढ़ की अतरौली सीट से चुनाव लड़ा तो हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने खुद हार नहीं मानी। इसके बाद अगले पांच साल जब उन्होंने चुनाव लड़ा तो कांग्रेस उम्मीदर को हरा दिया। जिसके बाद कल्याण सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 8 बार इस सीट से विधायक रहे।

मंडल-कमंडल राजनीति का चेहरा

90 के दशक में मंडल और कमंडल की राजनीति की पहचान बन कर निकले कल्याण सिंह को पार्टी में पिछड़ों का चेहरा बनाया गया। 1991 में यूपी में बीजेपी को 221 सीटें मिलीं और कल्याण सिंह सीएम बने लेकिन बाबरी विध्वंस के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी और यहीं से उनकी कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि उभरी थी। इसके बाद कल्याण सिंह 1997 में दोबारा सीएम की गद्दी पर आसीन हुए। 

बीजेपी छोड़ सपा का दामन भी थामा

 बीजेपी के साथ मतभेद की वजह से कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़कर नई पार्टी भी बनाई लेकिन 2004 में अटल जी के आग्रह पर वापस बीजेपी में आ गए और लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर से सासंद चुने गए। लेकिन 2009 में फिर बीजेपी छोड़ दी है और एटा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 2009 में कल्याण सिंह मुलायम सिंह की पार्टी सपा में शामिल हो गए लेकिन 2013 आते-आते वो फिर बीजेपी में आ गए। केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद कल्याण सिंह 2014 में राजस्थान के राज्यपाल बने।पिछले साल सितंबर में कल्याण सिंह ने फिर से भाजपा की सदस्यता ली थी।

राजनीति में है कुनबा

परिवार की बात करें तो उनके बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया एटा से बीजेपी के सांसद हैं। वहीं बुलंदशहर की डिबाई विधानसभा सीट से राजबीर सिंह विधायक रहे हैं जबकि पोता संदीप सिंह अतरौली से बीजेपी विधायक होने के साथ-साथ यूपी सरकार में मंत्री भी हैं।

 

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