कैसे मुफ्तखोरी कर देती है किसी भी देश को बेहाल? भारत को क्या लेनी चाहिए इससे सीख

देश
गौरव मिश्रा
Updated May 17, 2022 | 15:40 IST

भारत में हाल ही में हुए चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने कई लोक-लुभावन वादे किए। सरकार में बने रहने के लिए या सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों ने मुफ्त बिजली,  मुफ्त पानी एवं कई प्रकार के मासिक भत्तों के साथ साईकिल, स्कूटी से लेकर लैपटाप, स्मार्टफोन तक मुफ्त में देने का वादा करती हैं।

Freebies politics has bad impact on economy of countries
कैसे मुफ्तखोरी कर देती है किसी भी देश को बेहाल?   |  तस्वीर साभार: BCCL

हाल ही में श्रीलंका में पैदा हुई आर्थिक संकट के बाद विश्वभर में मुफ्तखोरी के खिलाफ छिड़ गई है। श्रीलंका में आर्थिक संकट की सबसे बड़ी वजह 2019 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किए गए वादे को बताया जा रहा है। 2019 में जब राष्ट्रपति चुनाव हुए थे तो उस समय चुनावी वादे के रुप में राजपक्षे परिवार ने यह ऐलान किया था कि अगर उनकी पार्टी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना पार्टी जीतकर आती है तो वो देश में वस्तुओं पर लगाए जाने वाले कर VAT को आधा कर देगें। चुनाव जीतने के बाद राजपक्षे परिवार ने जनता से किए गए वादे को पूरा करते हुए  VAT को 15 प्रतिशत से घटा कर 8 प्रतिशत कर दिया।  जिससे सरकार को उसकी GDP में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।  मुफ्तखोरी से बर्बाद हुए देशों के नाम में वेनेजुएला का नाम सबसे ऊपर आता है। वेनेजुएला कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातक देशों में एक था, वहां की सरकार ने कई सुविधांए मुफ्त में जनता को उपलब्ध करवाई। सरकार ने जनता के बीच लोकप्रिय होने के लिए कई ऐसे मुफ्त सुविधाओं के योजानाओं को लागू किया, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।

चुनाव में दलों ने कई लोक-लुभावन वादे किए
भारत में हाल ही में हुए चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने कई लोक-लुभावन वादे किए। सरकार में बने रहने के लिए या सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों ने मुफ्त बिजली,  मुफ्त पानी एवं कई प्रकार के मासिक भत्तों के साथ साईकिल, स्कूटी से लेकर लैपटाप, स्मार्टफोन तक मुफ्त में देने का वादा करती हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद जब यहीं राजनीतिक दल सरकार का गठन करती है तो इन चुनावी वादों को लागू करने से सरकारी राजकोष पर भारी असर पड़ता है। भारत में कई ऐसे राज्य है, जिनके पास राजस्व के मामले में सीमित संसाधन है और वह राज्य पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए है, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए किए गए इन वादों के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति और चरमरा जाती है। विकास के कई परियोजनाओं को रोकना पड़ता है या काम की गति राजस्व के अभाव में पहले से धीमी हो जाती हैं।

सुविधांए प्रदान करना सरकार का काम
पंजाब में नई सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव से पहले जनता को  कई सुविधांए मुफ्त में देने का वादे किया था, पार्टी ने 300 यूनिट फ्री बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं के लिए प्रति माह हजार रूपये देने की चुनावी घोषणा की थी और सरकार में आने के बाद 300 यूनिट फ्री बिजली योजना को लागू भी कर दिया लेकिन राज्य सरकार पहले ही 2.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी हुई हैं। वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से स्पेशल पैकेज की मांग भी की है, पंजाब से पहले भी कई राज्यों को ऐसे वादों के वजह से आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी। लोगों के जरूरत के हिसाब से उन्हें सुविधांए प्रदान करना सरकार का काम है, लेकिन सत्ता में आने के लिए लोक-लुभावन, मुफ्त की घोषणाओं एवं वादों से राजनीतिक दलों को बचना चाहिए, इससे राजकोष पर विपरित असर नहीं पड़ता है और सरकार के विकास कार्यों को बल मिलती हैं।

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