Ghulam Nabi Azad: सोनिया गांधी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में नंबर दो की हैसियत से काम करने से इंकार कर दिया है। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव में आजाद को टिकट को नहीं दिया गया है। हालांकि, राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने से पहले सोनिया गांधी आजाद से मिलीं और कांग्रेस में उनकी नई भूमिका के बारे में बताया। सूत्रों के मुताबिक इस बातचीत में राज्यसभा चुनाव के बारे में चर्चा नहीं हुई और आजाद से पूछा गया कि क्या वह संगठन में नंबर दो की हैसियत से काम करना चाहेंगे?
पुराने नेताओं के साथ काम नहीं करना चाहती युवा पीढ़ी-आजाद
इस पर आजाद ने कहा, 'पार्टी को चलाने वाले युवा और हमारे बीच एक पीढ़ी का फर्क आ गया है। हमारी और उनकी सोच का एक जैसी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ युवा काम करने के इच्छुक नहीं हैं।' बता दें कि आजाद कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं। कुछ दिनों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। दरअसल, कांग्रेस अल्पसंख्यक बोर्ड के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला हुआ है। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला राहुल गांधी ने किया। राहुल के इस निर्णय को सोनिया ने अपनी सहमति दी।
खड़गे हैं राज्यसभा में विपक्ष के नेता
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को लगता है कि आजाद को राज्यसभा भेजने पर उच्च सदन में पार्टी का नेतृत्व करने को लेकर समीकरण बिगड़ सकता है क्योंकि अभी वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्ष के नेता हैं। इस पद पर पहले आजाद थे। राज्यसभा से आजाद का कार्यकाल समाप्त होने पर इस पद पर खड़गे की नियुक्ति हुई। आजाद इस समय कांग्रेस की वर्किंग कमेटी और हाल ही में सोनिया गांधी द्वारा गठित राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य हैं। सूत्रों का कहना है कि आजाद इन दिनों पार्टी के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं ले रहे हैं। उदयपुर में संपन्न हुए चिंतन शिविर में भी आजाद बहुत कम बोले।
सोनिया गांधी से मिलने के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा- नेतृत्व परिवर्तन मुद्दा नहीं, संगठन को लेकर सुझाव दिए
सिब्बल के जाने से जी-23 पड़ा कमजोर
सूत्रों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा अब राहुल गांधी के खेमे में आ गए हैं। हुड्डा अब जी-23 समूह में सक्रिय नहीं हैं। सिब्बल भी पार्टी छोड़ चुके हैं। मुकुल वासनिक एवं विवेक तन्खा को राज्यसभा का टिकट मिल गया है। ऐसे में जी-23 समूह के नेता के रूप में आजाद की स्थिति कमजोर हुई है। इसे देखते हुए पार्टी ने उन्हें राज्यसभा न भेजने का फैसला किया। कांग्रेस चाहती है कि आजाद पार्टी संगठन के लिए काम करें।
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