'मार्शल नहीं होते तो राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर की हत्या हो सकती थी' गिरिराज का विपक्ष पर हमला

Rajya Sabha news Update: गिरिराज सिंह ने कहा कि हरिवंश जी केवल बिहार के बेटे नहीं हैं। वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनुयायी भी हैं। उन्होंने चंद्रशेखर जी के साथ काम किया है। वह पत्रकार रहे हैं।

Giriraj Singh  says If marshals weren't present they could've murdered RS Deputy Chairman
गिरिराज सिंह का विपक्ष पर हमला।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने सांसदों के अमर्यादित आचरण पर की सख्त टिप्पणी
  • कहा-मार्शल नहीं होते तो राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर की हत्या हो सकती थी
  • सिंह ने कहा कि हरिवंश वह संयम एवं संवैधानिक ढांचे का प्रतीक रहे हैं

नई दिल्ली : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश के साथ हुए 'दुर्व्यवहार' पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विपक्ष के सदस्यों पर तीखा हमला बोला है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि सुधार विधेयकों का विरोध करते हुए विपक्ष के सदस्य इतने उत्तेजित हो गए थे कि यदि वहां मार्शल नहीं होते तो 'राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन की हत्या हो सकती थी।' समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में सिंह ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों ने जिस तरह का माहौल बनाया था, ऐसे में राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन की हत्या हो सकती थी। 

...यह केवल बिहार के बेटे पर हमला नहीं
सिंह ने कहा, 'रविवार को केवल बिहार के बेटे पर ही हमला नहीं हुआ बल्कि यह हमला लोकतंत्र और उसके संवैधानिक ढांचे पर था। जिन नियमों के तहत वे चुनकर संसद पहुंचे हैं, उन नियमों को उन्होंने तार-तार कर दिया। यदि वहां मार्शल नहीं होते तो वे हरिवंश जी की हत्या कर देते, उनकी जान जा सकती थी।'

सिंह ने हंगामा करने वाले सांसदों को 'अर्बन नक्सली' कहा
उन्होंने कहा, 'हरिवंश जी केवल बिहार के बेटे नहीं हैं। वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनुयायी भी हैं। उन्होंने चंद्रशेखर जी के साथ काम किया है। वह पत्रकार रहे हैं और जब वह राज्यसभा के लिए चुनकर आए तो उन्हें डिप्टी चेयरमैन बनाया गया। वह संयम एवं संवैधानिक ढांचे का प्रतीक रहे हैं। विपक्ष यदि माफी नहीं मांगतो तो बिहार इसका बदला निश्चित रूप से लेगा।' केंद्रीय मंत्री राज्यसभा में हंगामा करने वाले सांसदों को 'अर्बन नक्सल' करार दिया।

'देश ऐसे सांसदों को माफ नहीं करेगा'
उन्होंने कहा, 'ये लोग अर्बन नक्सल का नया रूप बन गए हैं। नक्सली क्या करते हैं, वे लोगों की हत्या करते हैं और फिर कहते हैं कि वे गरीब लोगों के कल्याण की बात कर रहे हैं। किस तरह के लोकतंत्र में ऐसा होता है। देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।' बता दें कि रविवार को कृषि सुधारों से जुड़े विधेयक के राज्यसभा में पारित किए जाने के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने काफी उपद्रव किया। इसके बाद सोमवार को सत्ता पक्ष की ओर से लाए गए निलंबन प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस बीच, मानसून सत्र के बचे हुए दिन का विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने के बाद निलंबित 8 सदस्यों ने अपना धरना समाप्त कर दिया है।  

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