आज गोवा मुक्ति दिवस, क्‍या आप जानते हैं कैसे भारत का हिस्‍सा बना यह खूबसूरत राज्‍य

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Updated Dec 19, 2020 | 05:45 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Goa Liberation Day 2020: गोवा में 19 दिसंबर को मुक्ति दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत के सैन्‍य हस्‍तक्षेप के बाद गोवा को 450 वर्षों के पुर्तगालियों के शासन से आजादी मिली थी।

आज गोवा मुक्ति दिवस, क्‍या आप जानते हैं कैसे भारत का हिस्‍सा बना यह खूबसूरत राज्‍य
आज गोवा मुक्ति दिवस, क्‍या आप जानते हैं कैसे भारत का हिस्‍सा बना यह खूबसूरत राज्‍य  |  तस्वीर साभार: BCCL

पणजी : गोवा मुक्ति दिवस पुर्तगालियों से गोवा की स्वतंत्रता के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। गोवा पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त होने के बाद 1962 में भारत का हिस्सा बन गया और 1987 में आधिकारिक रूप से इसे भारतीय राज्‍य का दर्जा दिया गया। गोवा उस वक्‍त पुर्तगाली शासन के अधीन था, जब 15 अगस्‍त, 1947 को भारत ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आजाद हुआ था। गोवा खुद भी स्‍वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था, जिसमें उसे कामयाबी 1962 में मिली। 

पुर्तगालियों के कब्‍जे से मुक्‍त कराने के लिए भारत ने 18 दिसंबर, 1961 को एक बड़ा सैन्‍य अभियान चलाया था, जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना भी शामिल थीं। इसे 'ऑपरेशन विजय' नाम दिया गया, जो तकरीबन 36 घंटे तक चला था। भारत के इस सैन्‍य अभियान ने पिछले 450 वर्षों से पुर्तगालियों के शासन तले दबे गोवा की स्‍वतंवत्रता का मार्ग प्रशस्‍त कर दिया, जो आगे चलकर भारतीय संघ के एक राज्‍य के रूप में देश का अभिन्‍न हिस्‍सा बन गया।

और ऐसे पुर्तगाल के शासन से आजाद हुआ गोवा

गोवा में पुर्तगाल के शासन के खिलाफ भारत ने यह कार्रवाई कई दौर की बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों की विफलता के बाद की थी। भारतीय सैनिकों ने जब गोवा में प्रवेश किया तो उसे प्रतिरोध झेलना पड़ा, पर फिर जनरल मैनुअल एंटोनियो वासालो ई सिल्वा ने आत्मसमर्पण के प्रमाण-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके साथ ही गोवा में लगभग 450 वर्षों का पुर्तगालियों का शासन समाप्‍त हो गया और 19 दिसंबर, 1961 को यह आजाद हो गया।

गोवा के संदर्भ में सैन्‍य हस्‍तक्षेप के इस फैसले में देश के प्रथम व तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भूमिका अहम मानी जाती है। पुर्तगालियों के शासन से करीब 450 वर्षों बाद मिली उस आजादी का जश्‍न गोवा में मुक्ति दिवस के तौर पर मनाया जाता है। जब लोग राज्‍य में तीन अलग-अलग स्‍थानों से मशाल जुलूस निकालते हैं और आजाद मैदान में मिलते हैं। यहां उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, जिन्‍होंने गोवा की आजादी के लिए अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया।

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