गरीबी पर पिछले करीब एक दशक में कोई आकलन जारी नहीं किया: सरकार

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Updated Jul 25, 2022 | 19:52 IST

लोकसभा में कल्याण बनर्जी के प्रश्न के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दिये गए जवाब से यह जानकारी मिली है। सदस्य ने पूछा था कि क्या अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 23 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं।

Government reply in Loksabha Haven't released any assessment on poverty in last decade
गरीबी पर पिछले करीब 1 दशक में कोई आकलन जारी नहीं किया: सरकार।  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली : देश में गरीबी को लेकर सरकार ने पिछले करीब एक दशक से कोई आकलन जारी नहीं किया है। सरकार ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि पिछला आकलन वर्ष 2011-12 में जारी किया गया था जिसमें भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की संख्या 27 करोड़ आंकी गई थी।

लोकसभा में कल्याण बनर्जी के प्रश्न के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दिये गए जवाब से यह जानकारी मिली है। सदस्य ने पूछा था कि क्या अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 23 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार ने आम नागरिकों के गंभीर आर्थिक संकट को कम करने के लिये क्या कदम उठाए हैं।

27 करोड़ आंकी गई थी संख्या
चौधरी ने कहा कि भारत में गरीबी का अनुमान लगाने के लिये विभिन्न अनुसंधान संस्थान/संगठन वैकल्पिक तरीकों का अनुसरण करते हैं। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि 22 जुलाई 2013 को जारी गरीबी अनुमान 2011-12 पर जारी प्रेस नोट के अनुसार, वर्ष 2011-12 में भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की संख्या 27 करोड़ आंकी गई थी। उन्होंने कहा, ‘इसके बाद सरकार द्वारा गरीबी का कोई आकलन जारी नहीं किया गया।’

चौधरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संकल्पित आंकड़ों के अनुसार, परिवारों की शुद्ध वित्तीय सम्पत्ति वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद के 7.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद का 11.6 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में यह जीडीपी का 14.8 प्रतिशत और 2021-22 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का 6.9 प्रतिशत रही।
 

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