Minority tag for Hindus : राज्यों में जहां हिंदुओं की आबादी अन्य समुदायों से कम है, उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया जा सकता है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए केंद्र सरकार प्रदेशों एवं अन्य हितधारकों के साथ 'व्यापक विचार-विमर्श' शुरू करेगी। केंद्र सरकार ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दायर अपने हलफनामे में कही। केंद्र सरकार का यह रुख उसके पहले की दलील से अलग है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
रिपोर्टों के मुताबिक सरकार ने कहा कि इस मामले में भविष्य में किसी तरह की अवांछित जटिलता न आए, इसे दूर करने के लिए वह अपने पुराने हलफनामे की जगह नया हलफनामा दायर कर रही है। सरकार ने अपना पिछला हलफनामा कोर्ट में गत 27 मार्च को पेश किया था। सरकार ने इस मामले में पहले से दायर कुछ अर्जियों को खारिज करने की मांग की और नेशनल कमीशन फॉर माइनारिटीज (एनसीएम) एक्ट 1992 एवं नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटीज एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन (एनसीएमईआई) एक्ट का बचाव किया।
छह समुदाय माने गए हैं अल्पसंख्यक
एनसीएम एक्ट के तहत सरकार ने केवल छह समुदायों-ईसाई, सिख, मुस्लिम, बौद्ध, पारसी और जैन को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया है। एनसीएमईआई एक्ट इन छह समुदायों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलने की अनुमति देता है। जिन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम है, वहां इस समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने या नहीं देने की जिम्मेदारी सरकार ने उस समय राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों पर डाल दी।
सरकार ने कहा-मंत्रालयों के साथ किया चर्चा
गृह मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे के मुताबिक सरकार ने यह भी कहा कि केंद्र एवं राज्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विधायी कानून बना सकते हैं। सरकार का कहना है कि अर्जी में शामिल सवाल दूरगामी असर रखने वाले हैं, ऐसे में बिना हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के लिया गया फैसला भविष्य में अवांछित विवाद पैदा कर सकता है। अपने इस नए हलफनामे के बारे में सरकार ने कहा है कि उसने इस मामले में अन्य मंत्रालयों के साथ चर्चा की और चर्चा के बाद इस नए हलफामे को दाखिल किया गया है।
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