गुजरातः शंकर सिंह वाघेला ने बना ली नई पार्टी, PSDP दिया नाम, बोले- लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

वैसे, साल 2017 में भी वाघेला एक क्षेत्रीय दल ला चुके हैं। उस पार्टी का नाम जन विकल्प था। उनकी पार्टी ने चुनाव भी लड़ा था, मगर उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।

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दिग्गज राजनेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला। (फाइल)  |  तस्वीर साभार: IANS

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने अपना नया सियासी दल बना लिया है। रविवार (21 अगस्त, 2022) को दिग्गज राजनेता ने बताया कि उन्होंने एक नई पार्टी का गठन किया है। इस दल का नाम- प्रजा शक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी है। उन्होंने इसके साथ ही ऐलान किया कि उनका यह दल गुजरात में आने वाला विधानसभा चुनाव भी लड़ेगा।

'BJP,INC व AAP के लिए मेरे गेट बंद'
चुनावी राजनीति में अपने कमबैक को लेकर गांधीनगर में उन्होंने पत्रकारों को बताया, "लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। मेरे लिए भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के दरवाजे बंद हैं। यही वजह है कि मैंने प्रजा शक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी शुरू करने का फैसला किया। यह पार्टी डेढ़ साल पहले रजिस्टर्ड हुई थी। अब हमारे पास एक दल है।"

किन चीजों को बनाते रहे मुद्दा?
वाघेला अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (खासकर फेसबुक पेज) पर गुजरातवासियों से पहले ही कई वादे कर चुके हैं। इनमें 12 लाख रुपए सालाना कमाने वाले परिवार के लिए 12 लाख रुपए की स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा, ऐसे परिवार के बच्चों को 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा, युवाओं को रोजगार मिलने तक बेरोजगारी भत्ता, जल कर से छूट, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली, किसानों को ऋण में छूट, बिजली बिलों में राहत और नई वैज्ञानिक शराब नीति आदि।

स्वामी और सिब्बल से इस मोर्चे पर मांगा सपोर्ट
रोचक बात है कि वाघेला ने नई पार्टी के ऐलान से एक रोज पहले शनिवार (20 अगस्त, 2022) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्र और एनडीए के कटु-आलोचक भी) और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से भेंट की थी। उन्होंने यह कहते हुए उनसे समर्थन देने का अनुरोध किया कि अगर उन्हें लगता है कि वाघेला एक क्षेत्रीय पार्टी शुरू करके सही काम कर रहे हैं।

पहले भी लॉन्च कर चुके हैं क्षेत्रीय दल, रहे फेल
वैसे, साल 2017 में भी वाघेला एक क्षेत्रीय दल ला चुके हैं। उस पार्टी का नाम जन विकल्प था। उन्होंने इस दल के बैनर तले चुनाव लड़ा था, मगर बुरी तरह फ्लॉप हो गए थे। उन्हें एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिला था। न ही राज्य में एक भी सीट जीत सके थे। हालांकि, उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा था। 

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