हाथरस कांड के जरिए यूपी को दंगों में झोंकने की साजिश, ED करेगी फंडिंग की जांच

देश
रवि वैश्य
Updated Oct 06, 2020 | 08:00 IST

ED on Hathras Related Website Funding:हाथरस मामले में ईडी अब विदेशी एजेंसियों से वेबसाइट व उसके जरिये की गई फंडिंग का ब्योरा जुटाएगी इस मामले में उसने अपनी जांच शुरू कर दी है।

ED Invesigate Hathras related Website
प्रवर्तन निदेशालय ने वेबसाइट के जरिये फंडिंग के मामले में अपनी छानबीन शुरू कर दी है 

हाथरस मामले (Hathras Case) में सोमवार को एक नया खुलासा हुआ, सुरक्षा एजेंसियों के हाथ इस बात के सबूत लगे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि हाथरस की घटना का इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को जातिगत आधार पर बदनाम करने की साजिश रची गई थी और इसी बहाने दंगे भड़काने की भी कोशिश की गई थी,इस मामले के सामने आने के बाद अब कहा जा रहा है कि जिस वेबसाइट का सहारा लेकर प्रदेश भर में जातीय दंगा फैलाने की कोशिश की गई, उसकी फंडिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) करेगा।

प्रवर्तन निदेशालय ने वेबसाइट के जरिये फंडिंग के मामले में अपनी छानबीन शुरू कर दी है और जल्द मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी है।वेबसाइट के जरिये की गईं सभी गतिविधियां अब जांच के घेरे में हैं गौरतलब है कि वेबसाइट के जरिए सोशल मीडिया पर भ्रामक व आपत्तिजनक पोस्ट की गई थीं।  

इस मामले में हाथरस में सोमवार को जो मुकदमा कायम किया गया है वो पीएमएलए के अंतर्गत अधिसूचित अपराध है जिसके तहत अपराध करने के उद्देश्य से जितना पैसा एकत्र किया गया है उसे जब्त किया जा सकता है।

justiceforhathrasvictim.carrd.co वेबसाइट बनी थी रातों-रात

सरकारी सूत्रों ने कहा कि एजेंसियों ने एक ऐसी वेबसाइट का पता लगाया है जिसमें हाथरस को लेकर कई जानकारियां दी गई थी। justiceforhathrasvictim.carrd.co नाम से अचानक बनी इस वेबसाइट में बताया गया था कि कैसे सुरक्षित रूप से विरोध किया जाए और पुलिस के चंगुल से बचा जाए। इसके साथ-साथ इसमें सभी लोगों से जुड़ने का आग्रह किया। इसके अलावा इसमें बताया गया था कि क्या करना है और क्या नहीं। वहीं इसमें दंगों के दौरान सुरक्षित रहने और आंसू गैस के गोले दागने और गिरफ्तारी होने पर उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र किया गया है।

इस संबंध में पुलिस ने आईपीसी, आईटी अधिनियम, और अन्य के कई प्रासंगिक धाराओं के तहत एक मामला 3 अक्टूबर को दर्ज किया है। इस वेबसाइट में देश भर में दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद जैसी जगहों पर विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने पर जोर दे गया था। फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके कुछ ही घंटों में हजारों लोग इस वेबसाइट से जुड़ गए। इसके यूजर्स को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर हाथरस की घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाह फैलाते हुए पाया गया है।

मामला सामने आने पर वेबसाइट बंद कर दी गई

सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होते ही वेबसाइट ने अपना परिचालन बंद कर दिया और वेबसाइट बंद कर दी है। हालांकि, उन पर अपलोड की गई जानकारी एजेंसियों के पास सुरक्षित है। वेबसाइट से कई फोटोशॉप्ड चित्र, फेक न्यूज और एडिटेट विजुअल भी बरामद किए गए हैं। यूपी सरकार के सूत्रों के मुताबिक, वेबसाइट को इस्लामिक देशों से भारी फंडिंग मिल रही थी और एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ उनके लिंक की भी जांच की जा रही है। यह भी संदेह किया जा रहा है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई), जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगों में शामिल पाए गए थे, वो भी इसमें शामिल थे।

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