Hemant Soren: जा सकती है हेमंत सोरेन की कुर्सी, पद से हटाने के बारे में क्या कहती है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9A 

Hemant Soren : सीएम पद से सोरेन यदि हटते हैं तो ऐसा नहीं है कि उनके पास पद पर बने रहने के लिए विकल्प नहीं होगा। वह राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अयोग्य करार दिए जाने के बाद वह सीएम पद से इस्तीफा देकर दोबारा शपथ ग्रहण कर सकते हैं।

 Hemant Soren know Section 9 A of The Representation of the People Act, 1951, which might lead to his ouster
क्या कहती है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9A । 

Hemant Soren News : चुनाव आयोग (EC) की सिफारिश के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी, यह बड़ा प्रश्न है। सूत्रों का कहना है कि ईसी ने खनन पट्टा मामले में अपना सिफारिश राजभवन को भेजी है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहराते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की है। चुनाव आयोग की इस सिफारिश के बाद राजधानी रांची में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस, बीच झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस रांची पहुंच चुके हैं। राज्यपाल का कहना है कि अभी उन्होंने ईसी का पत्र पढ़ा नहीं है। चर्चा है कि तीन बजे के करीब राज्यपाल हेमंत सोरेन के बारे में फैसला कर सकते हैं। 

खनन पट्टा मामले में फंसे हैं सोरेन
रिपोर्टों के मुताबिक हेमंत ने खनन का एक पट्टा कथित रूप से अपने नाम किया जो कि कानून का उल्लंघन है। ईसी का कहना है कि यह दोहरे पद के लाभ का मामला बनता है। गत 22 अगस्त को खनन पट्टा मामले की सुनवाई कोर्ट में पूरी हुई। कोर्ट में सोरेन के वकीलों ने दलील दी कि इस मामले में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए लागू नहीं होती। वहीं, इस मामले में अर्जीकर्ता पक्ष ने कहा कि सोरेन ने खनन पट्टा अपने नाम कर लोक प्रतिनिधि त्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए का उल्लंघन किया है। इसलिए उन्हें अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। 

लोक प्रतिनिधियों के आचरण पर है 951 की धारा 9A 
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए लोकसेवकों को भ्रष्टाचार के लिए उन पर कार्रवाई करने का प्रावधान देती है। इसमें कहा गया है कि  'भ्रष्टाचार या अभक्ति के लिए पदच्युत होने पर निरर्हता-(1) वह व्यक्ति, जो भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण करते हुए भ्रष्टाचार के कारण या राज्य के प्रति अभक्ति के कारण पदच्युत किया गया है, ऐसी पदच्युति की तारीख से पांच वर्ष की कालावधि के लिए निरर्हित होगा। जाहिर है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के तहत हेमंत सोरेन को उनके पद से हटाया जा सकता है। 

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हेमंत सोरेन के पास ये विकल्प भी हैं
सीएम पद से सोरेन यदि हटते हैं तो ऐसा नहीं है कि उनके पास पद पर बने रहने के लिए विकल्प नहीं होगा। वह राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अयोग्य करार दिए जाने के बाद वह सीएम पद से इस्तीफा देकर दोबारा शपथ ग्रहण कर सकते हैं। उनके पास छह महीने के भीतर दोबारा चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य बनने का मौका होगा। इसके अलावा वह अपनी मां रूपी सोरेन और पत्नी कल्पना सोरेन में किसी एक को सीएम बना सकते हैं। यह विकल्प भी उनके पास मौजूद है। फिलहाल अभी सभी की नजरें राज्यपाल पर टिकी हैं। राज्यपाल के फैसले से यह तय होगा कि हेमंत की कुर्सी जाएगी या रहेगी।   

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