दुनिया के कई देशों में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है। कई देशों में बुर्के पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अब भारत में पिछले कुछ महीनों से हिजाब को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसका केंद्र कर्नाटक है। वहीं हिजाब के खिलाफ अब आवाज उन मुस्लिम देशों में भी उठने लगी है, जहां सत्ता का आधार ही इस्लाम धर्म और उसके कानून हैं। ईरान इन विरोधों का नया केंद्र बनता हुआ दिखाई दे रहा है।
भारत में क्या है स्थिति
जनवरी 2022 की शुरुआत में, कर्नाटक में यह विवाद शुरू हुआ था, जब हिजाब पहने छात्राओं को एक कॉलेज से एंट्री नहीं दी थी। जिसके बाद यह खबर आग की तरह फैल गई और लोग इसके विरोध और सपोर्ट में उतरने लगे। कहीं हिजाब के विरोध में भगवा स्कार्फ भी दिखा। मामला सरकार से लेकर कोर्ट तक पहुंच गया।
कोर्ट का फैसला
स्कूलों और कॉलेजों के अंदर जब हिजाब पर बैन लगा तो उसके समर्थक कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंच गए। धर्म का हवाला देकर हिजाब पर लगी रोक को हटाने की मांग की। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि इस्लाम में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है। स्कूल के अंदर हिजाब नहीं पहना जा सकता है। यूनिफॉर्म ही पहनना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद छात्रों का एक गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट के आदेश को चैलेंज किया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर लगातार 10 दिन तक सुनवाई कर चुका है। वकीलों की दलीलें पूरी हो चुकी है और कोर्ट इस मामले पर जल्द ही फैसला सुना सकता है।
ईरान में क्या हुआ
व्यक्तिगत आजादी की लड़ाई अब ईरान की राजधानी तेहरान की सड़कों पर पहुंच गई है। इस कट्टर इस्लामिक देश की महिलाएं हिजाब से आजादी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। 1970 के दशक में हुए इस्लामी क्रांति के बाद यह ईरान में अब तक का सबसे बड़ा विद्रोह है। जिसमें महिलाएं अनिवार्य इस्लामी प्रथाओं से मुक्त करने की मांग कर रही हैं।
क्या से उठा मामला
दरअसल ईरान में इस आंदोलन की शुरूआत एक 22 वर्षीय महिला की मौत के बाद शुरू हुआ है। इस महिला महीसा अमीनी को हिजाब के कारण ही पुलिस ने हिरासत में लिया था, जहां इसकी मौत हो गई। महीसा ने हिजाब नहीं पहना था, हिरासत में लिए जाने के बाद वो कोमा में चली गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई।
इस मौत के बाद ईरान में हंगामा खड़ा हो गया। महिलाएं हिजाब के विरोध में सड़कों पर उतर आईं। महिलाएं अपना हिजाब जला रही हैं और बाल भी विरोध के तौर पर कटवा दे रही हैं। ईरान की महिलाओं की मांग है कि उन्हें हिजाब को लेकर आजादी दी जाए। उनका मन हो तो वो उसे पहनें या न पहनें।
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