Karnataka Hijab Row: हिम्मत दिखानी है तो अफगानिस्तान में बुर्का न पहनकर दिखाओ: कंगना रनौत

Hijab Controversy: हिजाब को लेकर विवादकी शुरूआत पिछले महीने उस समय हुई जब उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के कुछ छात्रों को हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने से मना कर दिया गया था। कॉलेज के अधिकारियों के मुताबिक, जो छात्राएं बिना हिजाब के कॉलेज आती थी वो अचानक हिजाब पहनकर आने लगीं। 

hijab row Kangana Ranaut says If you want to show courage, show it by not wearing burqa in Afghanistan
हिम्मत है तो अफगानिस्तान में बुर्का न पहनकर दिखाओ: कंगना 
मुख्य बातें
  • कर्नाटक में हिजाब का मामला पकड़ता जा रहा है तूल
  • हिजाब के इस मामले में अभिनेत्री कंगना रनौत भी उतरीं
  • कंगना के इंस्टाग्राम पोस्ट पर शबाना आजमी ने दी प्रतिक्रिया

मुंबई: बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर फिर सुर्खियों में हैं। कंगना ने 2022 की शुरुआत में कहा था कि इस साल वह  कम पुलिस शिकायतों की कामना करती हैं। 'तनु वेड्स मनु' की अभिनेत्री, जो विवादों के लिए अजनबी नहीं है, उन्होंने कर्नाटक में चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की कि क्या छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनना चाहिए।

कंगना की पोस्ट

कंगना ने गुरुवार रात इंस्टाग्राम पर चल रही बहस पर अपनी राय उस समय साझा की जब 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने सभी स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक ड्रेस कोड को जरूरी बताया। इससे पहले उडुपी जिले में, सरकारी गर्ल्स पीयू कॉलेज की छात्राओं को कथित तौर पर हिजाब पहनने के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। कंगना ने लेखक आनंद रंगनाथन का एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 'साहस दिखाना है तो अफगानिस्तान में बुर्का न पहनकर दिखाओ। आजाद होना सीखो, खुद को पिंजरे में कैद करना नहीं।'

Kangana instagram

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शबाना आजमी का जवाब

पूर्व राज्यसभा सांसद और दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने कंगना रनौत को जवाब दिया है। शबाना ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर कंगना की पोस्ट साझा की और पूछा, "अगर मैं गलत हूं तो मुझे करेक्ट करना लेकिन अफगानिस्तान एक धार्मिक राज्य है और जब मैंने आखिरी बार भारत की जाँच की थी कि एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य था?" इस हफ्ते की शुरुआत में, शबाना के पति और गीतकार जावेद अख्तर ने भी भारत में हिजाब विवाद की निंदा की थी।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े न पहनने के लिए कहा गया है।छात्रों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश ने ‘संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है।’ उन्होंने याचिका को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया।

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