नई दिल्ली। कृषि बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और अब यह बिल भारत की कानून का हिस्सा हो चुका है। केंद्र सरकार एक तरफ इस कानून को ऐतिहासिक बता रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष खासतौर से कांग्रेस ने इसे डेथ वारंट जैसा बताया है और विरोध कर रही है। सोमवार को इंडिया गेट के करीब एक ट्रैक्टर को जलाया गया। कांग्रेस से जुड़े लोग जो खुद को किसान होने का दावा कर रहे थे उन लोगों ने कृषि कानून के खिलाफ ट्रैक्टर को फूंक दिया। लेकिन वो अधजला ट्रैक्टर कांग्रेस की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या कांग्रेस सिर्फ पब्लिसिटी चाहती है। दरअसल जिस ट्रैक्टर को इंडिया गेट के करीब आग के हवाले किया गया उसी ट्रैक्टर में हरियाणा के अंबाला में भी आग लगाई गई थी।
कांग्रेस का राजनीतिक स्टंट
कांग्रेस के ऊपर लग रहे आरोप की वजह क्या है। बताया जा रहा है कि जिस ट्रैक्टर को दिल्ली में जलाया गया उसी ट्रैक्टर को 20 सितंबर को विरोध के दौरान अंबाला में आग के हवाले किया गया था और यह एक बड़ी वजह है जो कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठा रही है कि क्या कांग्रेस सिर्फ को राजनीतिर रोटियां सेंकनी थी या वो वास्तव में किसानों के बारे में सोचती है। बीजेपी का कहना है कि हकीकत में कांग्रेस का किसानों से लेना देना नहीं। पंजाब में करीब 28 हजार कमीशन एजेंट हैं जिनमें से ज्यादातर का कांग्रेस से नाता है। अब कृषि कानून द्वारा उन आढ़तियों पर प्रहार से कांग्रेस में बेचैनी है।
कांग्रेस पर बीजेपी का पलटवार
बीजेपी के मुताबिक कांग्रेस इस तरह की हरकतों के लिए जानी जाती रही है। कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस के पास कहने के लिए कुछ नहीं है लिहाजा विरोध करना है। पंजाब में सीएम अमरिंदर सिंह एक तरफ से अलख जगा रहे हैं तो सोनिया गांधी भड़काने का काम कर रही हैं। दरअसल कांग्रेस खुद के बूने हुए जाल में फंस जाती है। एमएसपी का मुद्दा कांग्रेस के लिए रहा ही नहीं। प्रशासकीय फैसले के तौर पर ही इसे जोड़ा गया था। अब ऐसे में कांग्रेस को विरोध क्यों है।
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