IAC विक्रांत: हिंद महासागर में चीन पर कसेगा नकेल ! चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल होगा भारत

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Sep 01, 2022 | 19:08 IST

IAC Vikrant: IAC विक्रांत भारत में बना पहला स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर है।  इसके मिलते ही भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनेक पास दो एयरक्रॉफ्ट करियर होंगे। इस क्लब में भारत के साथ-साथ चीन भी शामिल है।

INS VIKRANT and China
आईएनएएस विक्रांत से भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत 
मुख्य बातें
  • चीन के स्ट्रिंग ऑफ पर्ल रणनीति का INS विक्रांत बनेगा जवाब।
  • आईएसी विक्रांत में 76 फीसदी कल-पुर्जे स्वदेशी हैं।
  • अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 11 एयरक्रॉफ्ट कैरियर हैं।

IAC Vikrant: जिस देश के पास एयरक्रॉफ्ट कैरियर होता है, वह युद्ध के समय. दुश्मन देश को आसानी से समुद्र के रास्ते घेर सकता है। दुनिया में कुछ गिने-चुने  ही देश हैं, जो ऐसे युद्ध पोत रखते हैं। भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल है। आने वाले 2 सितंबर  को भारत को उसका पहला स्वदेशी युद्ध पोत IAC विक्रांत मिलने वाला है। इसके मिलते ही भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिसके बाद दो एयरक्रॉफ्ट करियर होंगे। और इस क्लब में भारत के साथ  चीन भी शामिल है। करीब 4000 टन से अधिक भार वाले युद्धपोत आईएनएस विक्रांत से भारतीय नौसेना की मारक क्षमता बढ़ जाएगी और वह हिंदी महासागर से लेकर अरब सागर तक चीन की नापाक करतूतों पर नजर रख सकेगा। 

क्यों खास है IAC Vikrant

IAC विक्रांत भारत में बना पहला स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर है।  इसके निर्माण के साथ भारत दुनिया के उन 6 देशों के एलीट ग्रुप में शामिल हो गया है जो कि 40 हजार टन का एयरक्रॉफ्ट करियर बनाने में सक्षम हैं। आईएसी विक्रांत में 76 फीसदी कल-पुर्जे स्वदेशी है और यह आत्मनिर्भर भारत का भी बेहतरीन उदाहरण है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, IAC विक्रांत  की लंबाई 262 मीटर है। और उसका वजन करीब 45,000 टन है। इस युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनें लगी हैं ।और इसकी अधिकतम गति 28 (नॉट) समुद्री मील है। और इसे बनाने में करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। 

IAC विक्रांत स्वदेश निर्मित उन्नत किस्म के हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा MIG-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर और मल्टी रोल हेलीकाप्टरों के साथ 30 विमानों से युक्त एयर विंग के संचालन में सक्षम है। IAC विक्रांत को कम एरिया में एयरक्रॉफ्ट के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए खास तौर से डिजाइन किया गया है। इसके लिए एसटीओबीएआर (शॉर्ट टेक-ऑफ बट, आरेस्टेड लैंडिंग) के रूप में डिजाइन किया गया है। जिसमें आगे का हिस्सा ज्यादा उठा हुआ है। इसका फायदा यह है कि एयरक्रॉफ्ट कम जगह में आसानी से टेक ऑफ और लैंड कर लेता है।

IAC Vikrant: ऐसे बना भारत का पहला स्वेदशी युद्धपोत IAC विक्रांत

भारत और चीन अब बराबर

अगर भारत और चीन के बीच सेना की तुलना की जाय तो दोनों देश काफी मजबूत है। ग्लोबल फॉयर पॉवर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत इस समय सैन्य क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश है। जबकि चीन तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है। वहीं अगर नौसेना की बात की जाय तो भारत के पास चीन की तरह ही अब 2 एयरक्रॉफ्ट कैरियर होंगे। IAC विक्रांत के पहले तक भारत के पास INS विक्रमादित्य एयरक्रॉफ्ट कैरियर ही था। 2 एयरक्रॉफ्ट वाले देश इस समय चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली हैं। जबकि फ्रांस, रूस और स्पेन के पास एक एयरक्रॉफ्ट कैरियर है। वहीं अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 11 एयरक्रॉफ्ट कैरियर हैं।

देश एयरक्रॉफ्ट कैरियर
अमेरिका 11
भारत 2
चीन 2
रुस 1
पाकिस्तान 0

स्रोत: ग्लोबल फॉयर पॉवर इंडेक्स

स्ट्रिंग ऑफ पर्ल का INS विक्रांत बनेगा जवाब

चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत हिंद महासागर में स्ट्रिंग ऑफ पर्ल पर काम कर रहा है। यानी वह अपने नौसैनिक अड्डों का ऐसा बेस बना रहा है, जो भारत के चारों तरफ तैयार हो रहा है। साथ ही इसके जरिए एशिया प्रशांत क्षेत्र से होने वाले व्यापार पर भी, वह नियंत्रण रखना चाहता है। इसके लिए वह दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे देशों में सामरिक एवं आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डों का निर्माण कर रहा है। इसमें वह बांग्‍लादेश, म्‍यामांर में नौसैनिक बेस की स्‍थापना में मदद कर रहा है। इसके अलावा  चीन मालदीव में भारत से बेहद करीब एक कृत्रिम द्वीप भी बना रहा है। इसी तरह उसने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए लीज पर ले लिया है। वहीं वह पाकिस्‍तान के ग्‍वादर पोर्ट को नेवल बेस के रूप में विकसित कर रहा है। जाहिर है चीन की इस रणनीति से निपटने में भारत का IAC विक्रांत बेहद कारगर हो सकता है। इसके अलावा भारत चीन से निपटने के लिए INS विशाल का भी निर्माण कर रहा है। जो कि आने वाले भारतीय नौसेना की क्षमता कहीं ज्यादा इजाफा करेगा। 

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