MIG 27 Retirement : 'कारगिल के बहादुर' का सफर हुआ खत्म, भव्य तरीके से दी गई विदाई [VIDEO]

देश
किशोर जोशी
Updated Dec 27, 2019 | 12:09 IST

Retirement of MIG 27 of Kargil War: पाकिस्तान के साथ हुए 'करगिल युद्ध का हीरो' लड़ाकू विमान मिग-27 आज वायुसेना से सेवामुक्त हो गया है। इस लड़ाकू विमान की यात्रा लगभग चार दशक की रही।

 Indian Air Force's MiG-27 retires
MIG 27: कारगिल युद्ध के 'बहादुर' का सफर हुआ खत्म 
मुख्य बातें
  • पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध का हीरो लड़ाकू विमान मिग-27 हुआ रिटायर
  • विदाई समारोह में शामिल हुए कई विमान, एयरफोर्स के शीर्ष अधिकारी रहे मौजूद
  • मिग-27 ने तीन दशक से भी अधिक समय तक तक भारत की वायुसेना की सेवा की

नई दिल्ली: एक समय भारतीय वायुसेना की ताकत रहे मिग- 27 लड़ाकू विमान आखिर रिटायर हो गया है। कारगिल युद्ध के दौरान इसी विमान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस विमान ने शुक्रवार को जब वायुसेना के जोधपुर स्थि एयरबेस से आखिरी विदाई के दौरान पानी की बौछारों के जरिए सलामी दी गई। इस दौरान वायुसेना के कई शीर्ष ऑफिसर मौजूद रहे। 

लगभग चार दशक की रही यात्रा
1982 के दशक में इस विमान को रूस से खरीदा गया था। मिग 27 विमान चार दशक तक भारतीय वायुसेना के साथ जुड़ा रहा। आकाशगंगा की सूर्यकिरण, आकाशगंगा टीम और मिग 27 ने इस विदाई समारोह के दौरान परफॉर्म किया। अंत में फाइटर जेट के दस्तावेज हैंडओवर किया। कारगिल युद्ध के दौरान जिस विमानों ने सबसे पहले पाकिस्तानी घुसपैठियों के ठिकानों पर हमला बोला था उनमें से मिग-27 भी एक था।

कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 नें 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी। 1999 में जब पाकिस्तान घुसपैठिये चोटियों पर घात लगाकर बैठे थे तो एकाएक उन पर आसमान से गोले बरसने शुरू हो गए। ये बमबारी इतनी सटीक थी कि दुश्मन को संभलने तक का मौका नहीं मिला।

क्या थी विशेषताएं
यह विमान 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की उड़ान भरने में सक्षम था और एक साथ चार हजार किलो तक हथियार ले जा सकता था। दुश्मन के ठिकानों को भेदने की अचूक क्षमता वाले इस विमान के पराक्रम की बदौलत ही इसे कारगिल युद्ध के बाद 'बहादुर' का नाम दिया गया था। मिग-27 ने 1999 में हुए करगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।  2002 में मिग-27 लड़ाकू विमान के अपग्रेडेशन का काम शुरू हुआ जो साल 2009 में पूरा हुआ। इस दौरान इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए थे। इंजन में तकनीकी खामी और इसके कलपुर्जे नहीं मिलने की वजह से इसे सेवामुक्त किया गया।

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