नई दिल्ली : कोरोना वायरस महमारी से जूझ रही दुनिया में वैज्ञानिक लगातार इसे लेकर रिसर्च में जुटे हैं। इसकी जांच लगातार चल रही है कि इस महामारी को आखिर किस तरह समाप्त किया जाए। इसके लिए वैक्सीनेशन को जहां इस वक्त सबसे बड़ा हथियार बताया जा रहा है, वहीं मांग वैक्सीन के बूस्टर डोज की भी उठ रही है। फ्रांस ने जहां इसे अनिवार्य कर दिया है, वहीं अन्य देशों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है।
कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के सामने आने के बाद वैक्सीन के बूस्टर डोज की मांग और तेज हुई है, जिसे पहले के डेल्टा वैरिएंट से भी अधिक संक्रामक बताया जा रहा है। इस बीच ICMR के वैज्ञानिकों की टीम ने रिसर्च किया है, जिसमें कोविड रोधी वैक्सीन कोविशील्ड के बूस्टर डोज को डेल्टा डेरिवेटिव के खिलाफ प्रभावी पाए जाने की बात कही गई है। हालांकि इसकी समीक्षा अभी बाकी है।
ICMR के रिसर्च के मुताबिक, कोविशील्ड टीके कोरोना वायरस के डेल्टा डेरिवेटिव को बेअसर करने, गंभीर बीमारी तथा इससे होने वाली मौतों को रोकने में सक्षम हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोग जो कभी कोविड-19 से संक्रमित नहीं हैं, उनमें कोविड रोधी वैक्सीन का बूस्टर डोज SARS-CoV-2 के उभरते वैरिएंट्स के खिलाफ लड़ने के लिए सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मुहैया कराता है।
शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान तीन तरह के रक्त नमूनों का अध्ययन किया। पहला उन लोगों का था, जिन्हें कोविशील्ड की दो डोज लग चुकी थी और जो कभी कोविड के संपर्क में नहीं आए। वहीं, दूसरा सैंपल उन लोगों का था, जिन्हें पूर्व में कोविड का संक्रमण हो चुका था और जिससे उबरने के बाद उन्होंने वैक्सीन लगवाई थी। तीसरा सैंपल उन लोगों का था, जो कोविड वैक्सीन की सभी दो डोज लगवाने के बाद भी संक्रमण की चपेट में आ गए।
रिसर्च के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोविड रोधी वैक्सीन की पूरी डोज लगवा चुके ऐसे लोगों में डेल्टा वैरिएंट से लड़ने की क्षमता अन्य समूहों के लोगों से अधिक देखी गई, जो कभी कोविड से संक्रमित नहीं हुए थे। ऐसे लोगों में कोविड रोधी वैक्सीन का बूस्टर डोज उन्हें SARS-CoV-2 के उभरते वैरिएंट्स से लड़ने के लिए भी सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया मुहैया कराता है।
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