नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले 34 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हैं। इन सबके बीच बुधवार को एक बार फिर दोनों पक्ष एक दूसरे के आमने सामने बैठने वाले हैं। लेकिन उससे पहले जिस तरह के रुख सामने आ रहे हैं वो बेहतरीन अंजाम की तरफ जाता दिख नहीं रहा। मसलन किसानों का कहना है कि वो काले कानूनों के खारिज होने तक आंदोलन को वापस नहीं लेंगे तो सरकार का भी कहना है कि वो अपने पहले के रुख पर कायम है।
बीकेयू का विपक्ष पर तंज, सरकार पर निशाना
इन सबके बीच किसान संगठनों के आंदोलन पर अलग अलग तरह की टिप्पणियां भी की जा रही हैं, जैसे इस आंदोलन को कुछ राजनीतिक दल बरगला रहे हैं। किसानों के आंदोलन को कुछ विपक्षी दलों की शह है। इन सबके बीच भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत का कहना है कि अगक विपक्षी दल इतने मजबूत रहे होते को किसानों को इस मुद्दे पर आंदोलन की जरूरत ही क्यों पड़ती।
इस वजह से सरकार पर भरोसा नहीं होता
राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि जब पीएम नरेंद्र मोदी के साथ साथ उनके कई कद्दावर मंत्री एमएसपी और मंडी समिति के बारे में भरोसा दे रहे हैं उसके बाद भी आप लोग आंदोलन कर रहे हैं। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर आप पिछले रिकॉर्ड को देखें तो भरोसा करने की कोई वजह नजर नहीं आती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार कानून में संशोधन करने के लिए तैयार है तो कानून को वापस लेने में क्या दिक्कत है। दरअसल यही वो प्वाइंट है जिसका वजह से सरकारी वादों पर भरोसा नहीं होता है।
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