Farmers Agitation: तारीख 29 दिसंबर सुबह 11 बजे वार्ता के लिए तैयार, किसान संगठनों का फैसला

देश
ललित राय
Updated Dec 26, 2020 | 18:14 IST

केंद्र सरकार से वार्ता के संबंध में किसान संगठनों ने बड़ा फैसला किया है। कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने की मांग पर किसान संगठन दिल्ली की सीमा पर 31 दिन से डटे हुए हैं।

Farmers Agitation: किसान संगठनों की अहम बैठक जारी, क्या 32 दिन बाद निकलेगा सुलह का रास्ता
पिछले 31 दिन से कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन पर हैं 
मुख्य बातें
  • कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध जारी
  • किसान नेता नए कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने की कर रहे हैं मांग
  • तारीख 29 दिसंबर, सुूबह 11 बजे सरकार से वार्ता के लिए किसान तैयार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार को किसान संगठनों के बीच मुद्दा नए कृषि कानूनों का है, किसानों को डर है कि जिस तरह से कृषि कानून में प्रावधान किए गए हैं वो किसानों के खिलाफ हैं और उसका सिर्फ एक ही समाधान है कि उन्हें खारिज कर दिया जाए। लेकिन सरकार का कहना है कि कानूनों पर डर के पीछे किसी तरह का आधार नहीं है। लेकिन सरकार तथ्यों और तर्कों के आधार पर वार्ता करेगी। वार्ता कब और कैसे हो इस संबंध में आखिरी फैसला किसानों को ही लेना है। सरकार के साथ आगे का रास्ता क्या हो इसके लिए सिंघु बार्डर पर बैठक संपन्न हो गई है। 

पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा खुले रहेंगे
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि  पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा स्थायी रूप से खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को हम सिंघू सीमा से एक ट्रैक्टर मार्च का आयोजन करेंगे।

29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो बैठक
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। इसके अलावा कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में मोर्चा ने कहा है कि अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। 

केंद्र सरकार का है अड़ियल रवैया
किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार का रुख अड़ियल है। लेकिन वो साफ करना चाहते हैं कि जब तक इस विषय पर निर्णायक फैसला नहीं होगा वो लोग भी पीछे हटने वाले नहीं हैं। सरकार भरमाने का काम कर रही है। किसानों को अलग अलग गुटों में बांटकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैै। यह बात अलग है कि किसान सरकारी चालों को अच्छी तरह से समझ रहे हैं। 

किसानों के हित से किसी तरह का समझौता नहीं
जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य बीमा योजना की लांचिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि इन सुधारों के जरिेए आम खेतिहरों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा। उनका मानना है कि विरोध का आधार तार्किक होना चाहिए और उसके आधार पर किसी भी समस्या का निराकरण होना चाहिए। जहां तक किसानों के हित का सवाल है तो वो उनका सरकार के एजेंडे में प्राथमिकता पर है। जिन लोगों को कृषि कानूनों पर विरोध है तो उन्हें बातचीत के लिए आगे आना चाहिए।

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