India- china border tension: PMO से असदुद्दीन ओवैसी ने पूछे तीन सवाल, जनाब बताइए डी एस्केलेशन का मतलब क्या है

देश
ललित राय
Updated Jul 06, 2020 | 22:30 IST

Asaduddin owaisi on de escaltion: एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछा कि जह कोई घुसा हुआ नहीं है तो डी-एस्केलेशन का मतलब क्या है।

India- china border tension: PMO से असदुद्दीन ओवैसी ने पूछे तीन सवाल, जनाब बताइए डी एस्केलेशन का मतलब क्या है
असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम चीफ 
मुख्य बातें
  • ओवैसी मे पीएम नरेंद्र मोदी पर कसा तंज, सरकार बताए कि डी-एस्केलेशन का मतलब क्या होता है
  • जब कोई घुसा नहीं तो इस शब्द का क्या अर्थ है
  • 6 जून के समझौते को चीन ने तोड़ा फिर भी सरकार यकीन कर रही है।

नई दिल्ली। सोमवार को एक बड़ी खबर लद्दाख के पूर्वी सेक्टर से आई। चीनी सेना करीब 2 किमी गलवान घाटी में पीछे हट चुकी थी और इसे डिस्इंगेजमेंट की दिशा में एक सधी शुरुआत कही गई। अब इस संबंध में जानकारी आई है कि एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई थी।

दोनों देशों का कहना है कि मतभेद का स्तर इस हद तक न हो जो विवाद में बदल जाए। इसके साथ ही इस बात पर सहमति बनी कि बातचीक के रास्ते ही विवादित मुद्दों को सुलझाया जाएगा। इसे भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं और सरकार से तीन सवाल पूछा। 

असदुद्दीन ओवैसी के तीन सवाल
अगर किसी तरह से यह मानें कि डी एस्क्लेशन का मतलब यह है कि चीन को जो मन में आए वो करे।
पीएमओ की नजर में ना कोई घुसा है, ना कोई घुसा हुआ है, तब डी-एस्क्लेशन का मतलब क्या है।
हम चीन पर आखिर क्यों भरोसा कर रहे हैं जब 6 जून को उसने समझौते को तोड़ दिया और डी-एस्क्लेशन का वादा किया था।

अजीत डोभाल और वांग यी में हुई थी बातचीत
दरअसल  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्री और एनएसए से करीब दो घंटे तक संवाद किया और इस बात पर बल दिया कि चीन इस तरह का काम न करे जिसकी वजह से रिश्ते और खराब हों। दोनों देशों को स्थायी तौर पर शांति वापस लाने की दिशा में बढ़ना चाहिए। इसके साथ ही एक ऐसे साझा योजना पर भी काम करने की जरूरत है ताकि किसी तरह के विवाद से बचा जा सके।  

विदेश मंत्रालय का बयान
दोनों देशों में हाईलेवल बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान आया था कि इसलिए वे सहमत थे कि शांति और शांति की पूर्ण बहाली के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों से LAC और डी-एस्केलेशन के साथ सैनिकों की जल्द से जल्द पूर्ण विघटन सुनिश्चित करना आवश्यक था।

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