India-China standoff:1962 में नेहरू और 2020 में राजनाथ सिंह के बयान क्या एक दूसरे से अलग हैं 

देश
श्वेता सिंह
श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Sep 16, 2020 | 11:47 IST

India china border tension: जब तक सूरज-चांद रहेगा, क्या तब तक भारत-चीन सीमा विवाद रहेगा? हालातों को देखकर तो कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।  

India-China standoff:1962 में नेहरू और 2020 में राजनाथ सिंह के बयान क्या एक दूसरे से अलग हैं 
लद्दाख इलाके में चीन ने पैदा किया तनाव 
मुख्य बातें
  • 1962 में तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार बताया था
  • 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लद्दाख में तनाव के लिए चीन पूरी तरह जिम्मेदार
  • रक्षा मंत्री ने सदन को दिया भरोसा, भारत की एक एक इंच जमीन पूरी तरह महफूज

1962 को बीते जमाना हो गया, लेकिन चीन की आज भी हरकत, रणनीति सब उसी घिसी पिटी लाइन पर चल रही है। भले ही आधुनिक युग चल रहा है, लोग 5जी की स्पीड से इंटरनेट की दुनिया में चल रहे हैं, लेकिन चीन आज भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। चीन की उस हरकत का जिक्र भारतीय संसद में जब भी होता है, बार-बार हमें अतीत में जाने को मजबूर करता है। भारत-चीन सीमा विवाद पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और आज की चीन की दशा पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा संसद के दोनों सदनों में दिया गया भाषण कितना अलग है? या फिर आज भी हम चीन की एक ही हरकत, एक ही तरीका और एक ही आदत का जिक्र करते हैं।  

लोक सभा में रक्षामंत्री राजनाथ द्वारा तीखा प्रहार  

मानसून सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा विवाद पर सदन को हर एक पहलू से रूबरू करवाया। अपने संबोधन में राजनाथ सिंह सधे हुए और बेहद तीव्र दिखे। उनके संबोधन से साफ़ झलक रहा था कि ये 1962 का भारत नहीं है। चीन की धोखेबाजी की आदत को उसी अंदाज में जवाब दिया जाएगा।  

रक्षामंत्री के संबोधन के अहम बिंदु  

लोकसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने LAC यानी भारत-चीन सीमा विवाद पर हो रही एक-एक गतिविधि का बारीकी से देश को अवगत कराया। विपक्ष द्वारा बार-बार सवाल पूछे जाने पर सरकार की तरफ से लोकसभा में दोनों देशों के हालातों पर रक्षामंत्री ने जवाब दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन साल 1993 में हुए भारत और चीन के बीच के समझौते की अनदेखी कर रहा है। उस समझौते में कहा गया था कि दोनों ही देश सीमा पर गोलीबारी नहीं करेंगे और कम से कम सैन्य ताकत रखेंगे। 

अतीत के पन्नों में भी झलकी चीन की वही दशा  

1962 की बात हो या 2020 की। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. दोनों समय में उसने सीमा को लेकर हुए समझौते का उलंघन किया। 1962 में लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि चीन की तरफ से धोखेबाजी की गई है। अपने संबोधन में नेहरू ने कहा था कि भारत अपनी तरफ से शांति बहाल पर कायम है, लेकिन चीन की तरफ से लगातार इसका उलंघन किया जा रहा है।  

भारत के लिए चीन का वर्तमान और भूत एक ही है  

देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और तत्कालीन रक्षामंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा लोकसभा में दिया गया संबोधन का सार एक ही है। चीन की चाल हमेशा से धोखेबाजी रुपी पहिया के सहारे चलती है। एक बात तो चीन ने साबित कर दी कि दुनिया भले ही बदल जाए, लेकिन चीन कभी नहीं बदलेगा। वो हमेशा अपनी दोगली बातों का ही अनुकरण करेगा और उसी के अनुरूप कार्य करेगा।  

भारत और चीन में भारत चीन से इसलिए भी भारी है कि भारत समय के अनुसार अपनी सेना, रणनीति और सोच में परिवर्तन करता रहा है, लेकिन चीन अभी भी 1962 में ही लटका हुआ है। 2020 के भारत को चाहिए कि वो चीन को इस तरह से पटखनी दे कि उसकी आने वाली सात पीढ़ियों के जेहन में भारत का ये कदम स्मृति बनकर छप जाए

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