दुश्मन के आकाश में जब भारत की ताकत उड़ान भरेगी, तो घरों में दुबकने की बजाय कोई दूसरा विकल्प नहीं रह जाएगा। भारत एक-एक कदम आगे बढ़ रहा है और रक्षा के क्षेत्र में अविश्वसनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। हाइपरसोनिक तकनीक को डीआरडीओने तैयार किया है। ओडिशा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम रेंज से जब इसका सफल परिक्षण किया गया, तो न सिर्फ देश बल्कि दुनिया को भी भारत की ताकत का एक बार फिर अंदाजा हो गया। भारत के पास अब बिना विदेशी मदद के हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार करने की क्षमता आ गई है। भारत एक बार जब हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित कर लेगा तो यह मिसाइल चीन के किसी भी डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य को भेद देगी।
क्या है हाइपरसोनिक तकनीक?
देश की एक-एक उपलब्धियों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि आखिर ये हाइपरसोनिक तकनीक है क्या। हाइपरसोनिक, स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है, ये दुनिया में कहीं भी मौजूद अपने लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती हैं।
हाइपरसोनिक तकनीक की खासियत
ब्रह्मोस 2 तैयार करने में मदद
हाइपरसोनिक तकनीक की सबसे बड़ी खासियत एक और है कि इससे भारत को ब्रह्मोस 2 तैयार करने पर मदद मिलेगी। ब्रह्मोस 2 रूस के साथ मिलकर भारत तैयार कर रहा है।
हाइपरसोनिक दूसरी मिसाइल के कैसे अलग है?
हाइपरसोनिक मिसाइल दूसरी मिसाइल से कई मायने में अलग है। हाइपरसोनिक मिसाइलें 3,800 मील प्रति घंटे या 6,115 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ान भारती हैं, जो अन्य बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की तुलना में बहुत तेज है। ये मिनटों में पारंपरिक या परमाणु पेलोड वितरित कर सकते हैं। इसकी गति ही इसे बाकी मिसाइल की तुलना में सबसे अलग स्थान देती है। देश की सुरक्षा के लिए अब भारत को किसी विदेशी ताकत की राह देखने की जरुरत नहीं। भारत अपनी सीमा को सुरक्षित रखने में सफलता की एक-एक सीढी चढ़ रहा है।
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