नई दिल्ली : कोरोना वैक्सीन नोवावैक्स की अमेरिका में अनुमति मिलने की राह कठिन हो सकती है लेकिन भारत में यह टीका उपलब्ध हो सकता है। 90.4 प्रतिशत की एफेकेसी रखने वाला यह टीका अमेरिका में अपना टेस्ट पास कर चुका है लेकिन इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है। नोवावैक्स टीके का उत्पादन करने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया आगे आया है। इससे इस टीके की उपलब्धता भारत में आसानी से हो सकेगी।
मॉडर्ना, फाइजर जैसा असरदार है यह टीका
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक नोवावैक्स के क्लिनिकिल ट्रायलस अमेरिका और मेक्सिको के 29,960 लोगों पर हुए हैं और इसके परिणाम फाइजर एवं मॉडर्ना के कोरोना टीके की तरह मिले हैं। इसे जॉनसन एंड जॉनसन के टीके से बेहतर बताया गया है। दरअसल, इस समय अमेरिका में कोरोना के टीके बड़ी संख्या में रिजर्व रखे गए हैं। ऐसे में वहां औषधीय नियामक किसी नए टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने में देरी कर रहा है। अमेरिकी कानून के मुताबिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए यदि आवश्यकता से अधिक टीके उपलब्ध होते हैं तो वहां अन्य टीकों के आपात इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जाती है।
भारत में सबसे पहले लॉन्च हो सकता है
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में नोवावैक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टैनले एर्क के हवाले से कहा गया है कि टीके के इस्तेमाल की सबसे पहले मंजूरी ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कोरिया और भारत में मिल सकती है। भारतीय सूत्रों का कहना है कि भारत इस टीके के बारे में ब्रिटेन के नियामक का अनुसरण कर सकता है। भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक सितंबर से दिसंबर महीने तक नोवावैक्स के 20 करोड़ डोज उपलब्ध हो सकते हैं। यह संख्या और बढ़ सकती है।
भारत में इसे कोवावैक्स नाम दिया गया है
भारत में नोवावैक्स का नाम कोवावैक्स दिया गया है। यह टीका अपने परीक्षण के दूसरे और तीसरे चरण में है। एसआईआई 15 केंद्रों पर 18 साल से ज्यादा उम्र वाले 1600 लोगों पर परीक्षण कर रही है। रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि एसआईआई ने इस टीके का बच्चों पर परीक्षण करने की इच्छा जाहिर की है। कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को लांच करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन सकता है।
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