भारत की चीन को दो टूक, लद्दाख के अग्रिम मोर्चों पर डटे रहेंगे हमारे जवान

India stern message to china: पूर्वी लद्दाख में बने गतिरोध पर भारत ने चीन को साफ संदेश दिया है। भारत ने कहा है कि जब तक चीन की सेना वापस नहीं लौटती तब तक भारतीय फौज अग्रिम मोर्चों पर डटी रहेगी।

India stern message to china indian soldiers will remain deployed in eastern Ladakh
चीन को भारत का कड़ा संदेश। -फाइल पिक्चर  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • गत 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प
  • विवाद सुलझाने के लिए सैन्य कमांडर स्तर के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है
  • भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी जमीन से एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा

नई दिल्ली : भारत ने चीन से स्पष्ट कर दिया है कि जरूरत पड़ी तो वह लद्दाख क्षेत्र में लंबे समय तक टिके रहने के लिए तैयार है। साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बनाए रखने एवं पीएलए की वापसी की अपनी मांग को वह पुरजोर तरीके से उठाना जारी रखेगा। सोमवार को रक्षा एवं विदेश मंत्रालय एवं सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद एक अधिकारी ने बताया, 'एलएसी पर चीन की बात नहीं मानी जा सकती। चीन के सैनिक जब तक पीछे नहीं हटते तब तक पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चों पर हमारे सैनिक डटे रहेंगे।' 

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक यह अंतर मंत्रालयी बैठक चीन के साथ शीर्ष स्तर पर कूटनीतिक बातचीत से पहले हुई है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में चीन से निपटने की भावी रणनीति के बारे में चर्चा हुई है। सीमा पर तनाव कम करने के लिए अगले सप्ताह भारत और चीन के बीच शीर्ष स्तर पर बातचीत हो सकती है। 

गत 15 जून की गलवान घाटी में हुई हिंसा
गत 15 जून की गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद भारत और चीन के रिश्तों तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। पूर्व लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव का माहौल है। चीन ने एलएसी के पास भारी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती की है। सीमा पर किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारत ने भी चीन के बराबर अपने सैनिकों की तैनाती की है। सीमा पर गतिरोध खत्म करने के लिए दोनों तरफ से कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर बातचीत हो रही है। 

पूर्वी लद्दाख में कई जगहों से पीछे नहीं हट रहा पीएलए
गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष कमांडर स्तर पर पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन पैंगोंग त्सो एवं गोगरा इलाके से पीएलए के हटने पर सहमति नहीं बन पाई है। भारत इन इलाकों से चीनी सेना के पीछे हटने के लिए लगातार दबाव बना रहा है। चीन का विदेश मंत्रालय यह जताने की कोशिश कर रहा है कि सीमा पर शांति है। चीन संबंधों की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि बीजिंग की मंशा इन इलाकों से पीछे हटने की लग रही है। उसके सैनिक जिन जगहों पर मौजदू हैं उन स्थानों को वह खाली नहीं करना चाहता। 

भारत ने अपने तेवर कड़े किए
चीन के इस रुख को देखते हुए भारत ने भी अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। लद्दाख में गतिरोध के करीब चार महीने हो गए हैं। भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि वह भी इन इलाकों से अपनी फौज पीछे नहीं करेगा। इन इलाकों में लंबे समय तक बने रहने की दिशा में भारत ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। लद्दाख में करीब 30 हजार भारतीय सैनिक तैनात हैं और इन सैनिकों के लिए भारी संख्या में सर्दी की सामग्री पहुंचाई गई है। रिपोर्ट में एक अन्य अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सैन्य बातचीत में समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में शीर्ष स्तर पर राजनीतिक दखल की जरूरत महसूस हो रही है।   

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