नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से सबक लेकर भारतीय सेना भविष्य को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से रणनीतियां बनाने में जुट गई है। इस जंग ने जहां कई तरह के सवाल खड़े किए हैं, वहीं युद्ध कौशल को लेकर कई नई बातें भी सामने आई हैं। अब तक के जंग से स्पष्ट हो चुका है कि इसमें बख्तरबंद वाहनों के मुकाबले एंटी-टैंक मिसाइलें सफल रही है, जिससे भारतीय सेना भी सबक लेने जा रही है।
रूस-यूक्रेन में जारी जंग के बीच कई रिपोर्ट्स से यह सामने आया है कि रूसी बख्तरबंद वाहनों की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए यूक्रेन ने टैंक-रोधी निर्देशित मिसाइलों का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया है और महत्वपूर्ण सफलता भी हासिल की है। इस पर भारतीय सशस्त्र बलों की भी नजर है। यह इसलिए और भी अहम हो जाता है, क्योंकि वहां टैंकों सहित जिन भी उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें बहुत से उपकरण आम हैं।
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समाचार एजेंसी ANI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से दी रिपोर्ट में कहा है कि इस संबंध में जो भी जानकारी आ रही है, उसका विश्लेषण किया जा रहा है और भविष्य में मुख्य युद्धक टैंकों को विकसित किए जाने के क्रम में इन खूबियों को उसमें शामिल किया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना करेगी। इससे भारतीय सेना की ताकत और बढ़ेगी तथा दुश्मनों से उत्पन्न होने वाले खतरों से मुकाबले में उसकी क्षमता में इजाफा होगा।
भारतीय सेना रूसी बख्तरबंद वाहनों के सबसे बड़े इस्तेमालकर्ताओं में से एक रही है, जिसमें T-90, T-72 और BMP सीरीज के लड़ाकू वाहन शामिल हैं। भारतीय सेना पूर्व में इन्हें केवल पाकिस्तान के साथ लगने वाली रेगिस्तानी व मैदानी सीमाओं पर ही तैनात करती थी, लेकिन अब ये चीनी सीमा पर भी भारतीय प्रतिरोध की पहचान बन गए हैं। लद्दाख से लेकर सिक्किम तक बड़ी संख्या में चीन से लगने वाली सीमा पर इनकी तैनाती की गई है।
रूस-यूक्रेन जंग की बात करें तो इसे 46 दिन हो चुके हैं। इस दौरान अमेरिका, यूरोप के देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की है तो ये कार्ल गुस्ताफ एंटी-टैंक रॉकेट लॉन्चर, NLAWs और AT-4s जैसे एंटी-टैंक, एंटी-एयरक्राफ्ट उपकरणों की आपूर्ति भी धड़ल्ले से यूक्रेन को कर रहे हैं।
बख्तरबंद वाहनों के संचालन से जुड़ी जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, टैंकों का डिजाइन जहां कम से कम तीन-चार दशक पुराना है, वहीं टैंक रोधी मिसाइलों और रॉकेटों को नवीनतम जरूरतों के अनुसार डिजाइन किया गया है और मौजूदा समय में यह बीस साबित हो रहा है।
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