नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ बने गतिरोध को तोड़ने के लिए भारतीय सेना अपने स्तर से लगातार प्रयास कर रही है। गत शनिवार को भारत की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने अपने चीन समकक्ष से बात की। हालांकि करीब साढ़े पांच घंटे चली इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल सका। चूशूल में मौजूद भारतीय सेना एक बार फिर चीन के सैन्य कमांडर के साथ बातचीत करने की तैयारी में है। दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडरों के बीच यह बातचीत अगले कुछ दिनों में हो सकती है। चूशूल, लद्दाख में स्थित है।
चूशूल में बातचीत की तैयारी कर रही सेना
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, 'चूशूल में मौजूद भारतीय सेना के अधिकारी बातचीत की तैयारी में जुटे हैं और यह बातचीत अगले कुछ दिनों में हो सकती है। बातचीत की तैयारी करने वाली टीम को सेना मुख्यालय एवं सरकार से निर्देश मिले हैं। बातचीत करने वाली यह टीम इन निर्देशों के मुताबिक वार्ता की रूपरेखा एवं रणनीति में तैयार करने में लगी है।' पूर्वी लद्दाख के पेगांग त्सो झील, गलवां घाटी सहित तीन इलाकों में चीन की सेना पीएलए ने घुसपैठ की है। भारत भी इन जगहों पर चीनी सैनिकों की तादाद के बराबर अपने जवान तैनात कर दिए हैं। गत मांच मई से बना यह गतिरोध अब दूसरे महीने में पहुंच गया है।
राजनाथ सिंह ने कहा-बातचीत जारी है
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा, 'चीन के साथ बातचीत सैन्य एवं राजनयिक स्तर पर चल रही है। छह जून को हुई बातचीत काफी सकारात्मक रही और दोनों देश जारी विवाद का हल बातचीत से करने पर सहमत हुए हैं।' गृह मंत्री ने भरोसा दिया कि देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में है और देश के स्वभिमान एवं गौरव के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
चीन की घुसपैठ पर सुरक्षा एजेंसियों ने दी है रिपोर्ट
चीन की तरफ से भारतीय इलाके में हुई इस घुसपैठ पर सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसियों ने विस्तार से बताया है कि इतने कम समय में एलएसी के पास बड़ी संख्या में चीनी सेना का जमावड़ा कैसे हो गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की सेना लद्दाख में और भीतर तक दाखिल होना चाहती थी लेकिन सेना की मुस्तैदी एवं सक्रियता के चलते वह आगे नहीं बढ़ पाई। भारतीय सेना समय रहते उनके आगे बढ़ने के इरादे भांप गई।
एलएसी के पास विकास कार्यों पर चीन की आपत्ति
हाल के वर्षों में भारत ने एलएसी के पास अपनी बुनियादी संरचना पर काम एवं विकास कार्यों को तेज किया है। साथ ही असीमांकित क्षेत्र में अपनी गश्ती बढ़ाई है। चीन नहीं चाहता कि भारत एलएसी के पास अपनी मौजूदगी और अपनी सुविधाएं बढ़ाएं। भारत को विकास कार्य रोकने के लिए उसकी तरफ से गतिरोध खड़ा किया जा रहा है। हालांकि उसने अपनी तरफ बुनियादी संरचनाएं मजबूत कर ली हैं। जुलाई 2017 में डोकलाम में भी दोनों देशों की सेना की बीच 73 दिनों तक गतिरोध चला था। इस तनाव को खत्म करने के लिए भारत और चीन के शीर्ष स्तर पर बातचीत हुई जिसके बाद दोनों देशों की सेना पीछे लौटी।
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