Indian Railways IRCTC Latest News: भारतीय रेल (Indian Railways) ने ट्रेन के इंजनों में पेशाबघर (Toilets in Rail Engine) बनाने पर अपने चालकों और सह चालकों से राय मांगी है। चलती ट्रेन में वे जिन अस्वस्थ स्थितियों में पेशाब करते हैं, उसे लेकर कई शिकायतें मिली थीं। अधिकारियों के अनुसार, इस बारे में व्यापक राय मिलने के बाद वे कर्मचारियों की सुविधा के लिए रेलवे इंजन में लगाये जाने वाले मूत्रालय का मॉडल तय करेंगे।
पिछले हफ्ते रेलवे बोर्ड ने सभी 17 जोनों के मुख्य विद्युत इंजन अभियंताओं (सीईएलई) को ट्रेन चालकों व सह चालकों की राय लेने का आदेश दिया था। एक अफसर ने कहा, ‘‘ सीईएलई चालक ट्रेन चालकों से उनके फोनों पर राय ले रहे हैं। यह राय लेना यह जानने के लिए पक्षकार सर्वेक्षण जैसा है कि नयी व्यवस्था लगाने से पहले वे किन बातों से सहज हैं। उसके बाद रेलवे बोर्ड पेशााबघर बनाने पर निर्णय लेगा।’’
हालांकि ट्रेन चालकों की एसोसिएशन ‘इंडियन रेलवे लोको रनिंग मेन ओर्गनाइजेशन’ रेलवे बोर्ड के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उनकी दलील है कि इंजनों में पेशाबघर नहीं, बल्कि शौचालय की जरूरत है क्योंकि मात्र मूत्रालय की व्यवस्था नाकाफी होगी। अधिकारियों ने बताया कि छह साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जैव शौचालय से लैस पहले इंजन को बेड़े में शामिल किया था, तब से अब तक 97 शौचालय लगाये गये हैं।
भारतीय रेलवे में 140000 डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन हैं। साठ हजार से अधिक ट्रेन चालकों में करीब 1000 महिलाएं हैं और उनमें ज्यादातर कम दूरी की मालगाड़ियां चलाती हैं। एक महिला चालक ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘अगर शौचालय लगाये जाते हैं तो अधिकाधिक महिलाएं ट्रेन चला पाएंगी और उन्हें डेस्क पर बैठ जाने की जरूरत नहीं होगी।’’
पीटीआई-भाषा ने पिछले महीने यह मुद्दा उठाया था जिसमें महिला चालकों ने बताया कि इंजनों में शौचालय नहीं होने पर रास्ते में होने वाली समस्याओं के कारण उन्हें कैसे कार्यालय काम को चुनना पड़ता है। रेलवे ने एक बयान में कहा कि 2013 की रेलवे बजट घोषणा और लगातार मांग के मद्देनजर इलेक्ट्रिक इंजनों में शौचालय प्रदान करने का निर्णय लिया गया जिस पर चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स काम कर रहा है । उसने कहा कि अब तक 97 इलेक्ट्रिक इंजनों में यह सुविधा दी गयी है। कुछ कर्मियों ने कहा कि पुरूषों को भी पटरियों के बगल में बैठकर शौचादि करना पड़ता है जो अस्वास्थ्यकर है।
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