India's Indigenous Aircraft:'आईएनएस विक्रांत' के बारे में एक नजर, कैसा है और क्या हैं क्षमताएं

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रवि वैश्य
Updated Jun 25, 2021 | 06:30 IST

INS Vikrant Update:रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कोच्चि में शुक्रवार को स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण की भी समीक्षा करेंगे,इसे आईएनएस विक्रांत नाम दिया जाएगा

INS Vikrant
यह एक आधुनिक विमान वाहक पोत है जिसका वजन लगभग 40,000 मीट्रिक टन है 

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (IA-1) का जायजा लेने के लिए कोचीन शिपयार्ड की यात्रा करेंगे, इसके निर्माण में लंबी देरी हुई है, इस पोत को नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने पर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) के नाम से जाना जाएगा।

रक्षा मंत्री कोच्चि में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण की समीक्षा करेंगे, हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते चीनी आक्रमण के मद्देनजर एक अतिरिक्त विमानवाहक पोत महत्वपूर्ण है। INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसका समुद्री परीक्षण 2021 में शुरू होने की उम्मीद है और इसे 2022 तक कमीशन कर दिया जाएगा ऐसा कहा जा रहा है। 

इसे ‘Indigenous Aircraft Carrier 1 (IAC-1)’ के नाम से भी जाना जाता है, INS विक्रांत का निर्माण भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है

भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत (IAC-1) INS Vikrant पर एक नजर-

  • भारत में वर्तमान में आईएनएस विक्रमादित्य एकमात्र परिचालन विमान वाहक है
  • आईएनएस विक्रांत पर 2009 में काम शुरू होने के बाद से कई देरी का सामना करना पड़ा है
  • 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री व उपकरण लगे हैं विमानवाहक पोत में
  • कई भारतीय कंपनियां शामिल हैं विभिन्न तरीकों से इसके निर्माण में
  • आईएनएस विक्रांत पर काम शुरू होने के 11 साल बाद भी पूरा होने का इंतजार कर रहा है
  • विक्रांत एक एडवांस स्टेज में है और जल्द ही समुद्री टेस्टों की उम्मीद है
  • यह एक आधुनिक विमान वाहक पोत है जिसका वजन लगभग 40,000 मीट्रिक टन है
  • इस जहाज की लम्‍बाई लगभग 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है
  • 2022 के अंत या 2023 की शुरूआत में पूरी तरह से तैयार हो जाएगा
  • पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद 12 अगस्त 2013 को इसे नये अवतार में उतारा गया
  • विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का रैम्‍प लगाया गया
  • विक्रांत नाम संस्कृत के विक्रांतः,शब्द से लिया गया है जिसका हिन्दी में अर्थ "साहसी" है
  • इसे मिग-29 के और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है
  • यह लगभग तीस विमानों तक के एक हवाई समूह को ले जाएगा, 
  • इसमें लगभग 25 'फिक्स्ड-विंग' लड़ाकू विमान शामिल होंगे
  • मुख्य रूप से मिग-29के, इसके अलावा 10 कामोव का 31 या वेस्टलैंड सी किंग हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं
  • कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (AEW) भूमिका को पूरा करेगा
  • यह STOBAR संरचना वाला विमानवाही पोत है
  • इसमें स्की-जंप के साथ एक STOBAR कॉन्फ़िगरेशन है

बताया जा रहा है कि देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत का निर्माण इस समय तीसरे चरण में है। कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में बनाए जा रहे 40 हजार टन के इस पोत के 2021 की शुरुआत में जलावतरण की संभावना है।

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