Time Capsule: नई नहीं है टाइम कैप्सूल की बात, इंदिरा गांधी लाल किले के नीचे गड़वा चुकी हैं काल पात्र 

Time Capsule News: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी साल 1973 में लाल किले के परिसर में एक टाइम कैप्सूल जमीन के अंदर डलवाया था जिस पर विपक्ष ने हंगामा भी किया। आरोप है कि इसमें गांधी परिवार का महिमामंडन है।

Indira Gandhi buried a time capsule in Red Fort complex in 1973
इंदिरा गांधी लाल किले के नीचे डलवा चुकी हैं टाइम कैप्सूल।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • इंदिरा गांधी ने 1973 में काल पात्र नाम से टाइम कैप्सूल लाल किले के परिसर में गड़वाया
  • बताया जाता है कि इस टाइम कैप्सूल में आजादी के 25 वर्षों की उपलब्धियों का जिक्र था
  • विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर अपना एवं अपने परिवार का महिमामंडन करने का आरोप लगाया

नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास एवं भूमिपूजन पांच अगस्त को होने जा रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र इसकी तैयारी में जुटा है। इस बीच, यह भी खबर आई है कि ट्रस्ट राम मंदिर की नीव में जमीन में लगभग 200 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल (काल पात्र) रखा जाएगा। लेकिन श्री रामतीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी चंपत राय ने नीव में टाइम कैप्सूल रखे की बात से इंकार किया। 

मीडिया में एसी रिपोर्टें पिछले कुछ दिनों से चल रही थीं कि इस टाइम कैप्सूल में राम मंदिर के इतिहास, आंदोलन एवं संस्कृति का जिक्र होगा। इसका उद्देश्य यह है कि आने वाली पीढ़ियों को जब जरूरत पड़ेगी तो वह राम मंदिर के इतिहास, उसकी संस्कृति एवं कानूनी लड़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेगी। 

ऐसा नहीं है कि इस टाइम कैप्सूल का जिक्र पहली बार हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1970 में लाल किले के परिसर की जमीन में एक टाइम कैप्सूल गड़वाया। बताया जाता है कि इस टाइम कैप्सूल में उन्होंने आजादी के बाद 25 वर्षों की सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया है। कहा यह भी जाता है कि इसमें स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी परिवार की भूमिका एवं देश के विकास में उसके योगदान का उल्लेख किया गया।  

1970 के दशक में काफी कद्दावर थीं इंदिरा
बताया जाता है कि 1970 के समय इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक करियर के उच्च शिखर पर थीं। इस समय सत्ता की कमान पूरी तरह उनके हाथों में थी। उनका कद्दावर व्यक्तित्व भारतीय राजनीति को दूर तक प्रभावित कर रहा था। इस समय उन्होंने देश के आजादी के 25 वर्षों के 'गौरवशाली इतिहास' का जिक्र इस टाइम कैप्सूल में कराया और उसे लाल किले के परिसर की जमीन में गड़वाया। इंदिरा की सरकार में इस टाइम कैप्सूल का नाम काल पात्र दिया गया। 

टाइम कैप्सूल को लेकर विवाद हुआ
तत्कालीन सरकार ने आजादी के बाद महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को इस काल पात्र में शामिल करने का काम इंडियन कॉउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) को सौंपा। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एस कृष्णास्वामी को को इस काल पात्र को तैयार कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई लेकिन इससे पहले कि यह टाइम कैप्सूल बनकर तैयार होता, इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया।  

इंदिरा पर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा
विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। इंदिरा पर आरोप लगा कि वह इस टाइम कैप्सूल में अपना और अपने परिवार के योगदान को बढ़ाचढ़ाकर पेश कर रही हैं और इसमें उनका महिमामंडन किया गया है। हालांकि, विपक्ष के हंगामे के बावजूद इस  टाइम कैप्सूल को 15 अगस्त 1973 को लाल किले के परिसर में जमीन के नीचे डलवा दिया गया। 

जनता पार्टी की सरकार ने टाइम कैप्सूल को बाहर निकलवाया
चुनाव के दौरान जनता पार्टी ने जनता से वादा किया था कि जब वह सरकार में चुनकर आएगी तो वह इस टाइम कैप्सूल को बाहर निकलवाएगी। बताया जाता है कि साल 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो इस टाइम कैप्सूल को खोदकर बाहर निकाला गया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुछ पत्रकारों का दावा है कि इस काल पात्र में इंदिरा गांधी ने अपना और अपने पिता जवाहर लाल नेहरू के योगदान एवं उपलब्धियों का जिक्र था। इस घटना के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस कैप्सूल को जमीन में गड़वाने में इंदिरा सरकार ने आठ हजार रुपए खर्च किए थे जबकि इसे बाहर निकालने के लिए हुई खुदाई में मोरारजी सरकार को 58,000 रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ा।

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