नई दिल्ली। क्या जैश ने तालिबान के साथ हाथ मिला लिया है। क्या आतंकी संगठन नए सिरे से भारत के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं। क्या इसके लिए पाकिस्तान से मदद मांगी गई है। यह सब ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब तलाशना इसलिए जरूरी हो जाता है कि हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है। हाल के आतंकी हमलों में जैश का नाम तो नहीं है। लेकिन यह जानकारी सामने आ रहा है पाकिस्तान की सरपरस्ती में आतंकी संगठन खुद को मजबूत करने में जुटे हैं।
घाटी में आतंकियों की जड़ें हिलीं
जानकार बताते हैं कि अगर जनवरी से लेकर अप्रैल के आंकड़ों को देखें तो भारतीय सुरक्षाबलों में 80 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है। कश्मीर में आतंकियों के स्थानीय नेटवर्क को नाकाम करने में भी बड़ी कामयाबी मिली है। हाल के दिनों में रियाज नाइकू का मारा जाना अहम कामयाबी है। इस संबंध में सैय्यद सलाउद्दीन का एक वीडियो भी आया था जिसमें वो कह रहा है कि इस समय सभी जिहादी संगठन मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं। आतंकी संगठनों की इस नापाक तालमेल पर खुफिया एजेंसियों का कहना है कि इस तरह की खबरें आती रहती हैं, जहां तक भारतीय सुरक्षाबलों की कार्रवाई का सवाल है हम पीछे नहीं हटते हैं।
तालिबान और जैश इसलिए आ रहे हैं साथ
अब सवाल यह है कि जैश और तालिबान हाथ क्यों मिला रहे हैं। जानकार कहते हैं कि दरअसल अगर पिछले 3 वर्षों को अगर देखा जाए तो अफगानिस्तान में तालिबान और जम्मू-कश्मीर में जैश का नेटवर्क कमजोर हुआ है। दोनों संगठनों को लगता है कि अपनी प्रासंगिकता बरकरार रखने के लिए तालमेल का होना जरूरी है। लिहाजा एक दूसरे के साथ मिलकर काम बनेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान की बात करें तो उसे लगता है कि वो भारत को अस्थिर करके ही अपने वजूद को बना और बचा सकता है। लेकिन वो भूल जाता है आतंकी हमलों का वो खुद भी शिकार होता है।
ऑपरेशन जैकबूट का जिक्र जरूरी
जब हम कश्मीर में आतंकवाद की बात करते हैं तो एक महत्वपूर्ण अभियान ऑपरेशन जैकबूट का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। इस अभियान की शुरुआत 2016 में की गई जब घाटी में पोस्टर ब्वॉय के नाम से मशहूर बुरहान वानी के चर्चे आम थे। उसके साथ 11 आतंकी घूमा करते थे। बताया जाता है कि उसने घाटी में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के नए कैडर बनाने की जिम्मेदारी संभाली थी। 2016 में वो सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा था। कहने को तो बुरहान वानी हिज्बुल के लिए काम करता था। लेकिन दूसरे आतंकी संगठनों से भी उसे मदद मिलती थी जिसमें जैश और लश्कर दोनों शामिल थे।
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