नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीकठाक नहीं है। दरसअल इसके पीछे की वजह यह है कि पंजाब कांग्रेस के दो बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त समिति के सामने अपना पक्ष रख चुके हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने समिति के सामने अपनी बात रखने के बाद जब मीडिया से मुखातिब हुए तो कहा सत्य प्रताणित हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। उसके बाद शुक्रवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह समिति के सामने पेश होेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विधानसभा चुनाव होने में अब महज 6 महीने बचे हैं। इसके जरिए उन्होंने अपनी मंशा जाहिर कर दी कि पार्टी के सामने इस समय अगला चुनाव जीतने की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अमरिंदर सिंह के बयान का सियासी मतलब
अब सवाल यही है कि आखिर अमरिंदर सिंह के बयान का मतलब क्या है। इस मसले पर जानकार कहते हैं कि चुनाव का हवाला देकर उन्होंने साफ कर दिया है कि आज की परिस्थिति में उन लोगों पर नकेल कसने की जरूरत है जिनके सुर बगावती हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि गुरुवार को आम आदमी पार्टी के कुछ विधायक जब कांग्रेस में शामिल हुए तो उस समय पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का संदेश भी दे दिया है कि पंजाब की राजनीति को उनसे बेहतर कोई दूसरा नहीं समझता। दरअसल उन्हें अस्थिर करने के लिए तरह तरह के प्रयास पहले भी किए गए हैं और आज भी किए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह में कभी नहीं बनी। मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद जब उनको विभाग दिया तो सिद्धू खुश नहीं थे। सिद्धू बार बार कहा करते थे कि कैप्टन साहब उन्हें समय समय पर अपमानित करते रहते हैं। लेकिन अमरिंदर सिंह कहा करते थे जिन्हें जो काम करना है उसे वो निभा नहीं रहे उल्टे सरकार और पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते रहते हैं। इस समय जब चुनाव सिर पर है उस समय नवजोत या यूं कहें कि कैप्टन विरोधी खेमे को लगा कि दबाव के जरिए अमरिंदर सिंह की राह में मुश्किल आ सकती है। लेकिन आप के बागी विधायकों को जिस तरह से उन्होंने तोड़ लिया वो अपने आप में अहम है।
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