अंतरिक्ष में भी आजादी का अमृत महोत्सव! ISRO का SSLV-D1 लॉन्च, साथ ले गया AzaadiSAT; जानें- क्यों है खास?

‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं।

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श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल डेवलपमेंटल फ्लाइट-1 (SSLV-D1) अपने साथ एक छात्रों द्वारा निर्मित उपग्रह 'आज़ादीसैट' को भी ले गया है।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • चेन्नई से 135Km दूर एसएचएआर से रॉकेट हुआ प्रक्षेपित
  • ‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग उपकरण, प्रत्येक का वजन 50 ग्राम
  • एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है, उत्थापन द्रव्यमान 120 टन

अपने देश की आजादी का अमृत महोत्सव सिर्फ धरती तक सीमित नहीं रहेगा। यह इस बार अंतरिक्ष में भी सांकेतिक तौर पर मनता दिखेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में  सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रविवार (सात अगस्त, 2022) को एक स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल डेवलपमेंटल फ्लाइट-1 (SSLV-D1) को सुबह 9:18 बजे लॉन्च किया।

यह अपने साथ 'पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-02' (EOS-02) ले गया है। SSLV-D1 छात्रों की ओर से ('स्पेस किड्ज इंडिया' की स्टूडेंट टीम) बनाया गया उपग्रह 'आज़ादीसैट' भी ले गया। हालांकि, सफल लॉन्चिंग के कुछ समय बाद इसरो चेयरमैन की ओर से बताया गया कि मिशन के टर्मिनल फेज में डेटा चला गया और सैटेलाइट से संपर्क टूट गया।

लगभग 13 मिनट की यात्रा के बाद एसएसएलवी सबसे पहले ईओएस-02 को इच्छित कक्षा में स्थापित करेगा। इस उपग्रह को इसरो ने डिजाइन किया गया है। एसएसएलवी इसके बाद ‘आज़ादीसैट’ को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह उपग्रह आठ किलोग्राम का क्यूबसैट है, जिसे देश भर के सरकारी स्कूलों की छात्राओं की ओर से स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया गया। ‘आज़ादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। 

देखें, लॉन्चिंग का वीडियोः

देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से मार्गदर्शन मिला, जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं। ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ की ओर से विकसित जमीनी प्रणाली का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।

यह इसरो का पहला लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान मिशन है। अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण किया, जिसका इस्तेमाल पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।

इसरो वैज्ञानिक ऐसे छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पिछले कुछ समय से लघु प्रक्षेपण यान विकसित करने में लगे हैं, जिनका वजन 500 किलो तक है और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है। पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलो तक के उपकरण ले जा सकता है। (भाषा इनपुट्स के साथ) 

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