जम्मू कश्मीर: पुलिस के वीरता पुरस्कार पर अब शेख अब्दुल्ला की जगह होगा अशोक चक्र, सरकार ने लिया फैसला

जम्मू कश्मीर सरकार ने पुलिस पदक को लेकर सोमवार को बड़ा फैसला लेते हुए बताया कि अब वीरता पदकों पर शेख अब्दुल्ला की फोटो के बजाए राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न होगा। शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री भी थे।

Jammu and Kashmir Ashok Chakra will now replace Sheikh Abdullah on police gallantry award
जम्मू कश्मीर पुलिस पदकों पर लगे शेख अब्दुल्ला के चित्र को हटाकर अब राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न लगाया जाएगा।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक थे शेख अब्दुल्ला
  • फारूक अब्दुल्ला के पिता थे शेख अब्दुल्ला
  • शेख अब्दुल्ला को कहा जाता है 'शेर ए कश्मीर'

वीरता और सेवा के लिए दिए जाने वाले जम्मू कश्मीर पुलिस पदकों पर लगे शेख अब्दुल्ला के फोटो को हटाकर अब राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न लगाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को इसकी घोषणा की। शेख अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री थे। पुलिस पदकों पर अशोक स्तंभ के चिह्न लगाने के बारे में गृह विभाग से आदेश जारी किए गए हैं। 

गृह विभाग के प्रधान सचिव आरके गोयल के एक आदेश में कहा गया है कि ये आदेश दिया जाता है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा 4 में संशोधन करते हुए पदक के एक तरफ उभरा हुआ 'शेर-ए-कश्मीर' शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को भारत सरकार के राष्ट्रीय प्रतीक से बदल दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर में 'शेर-ए-कश्मीर' के नाम पर कई अस्पताल, स्टेडियम, सड़कें और कई अन्य इमारतें हैं। 

शेख अब्दुल्ला को कहा जाता है 'शेर ए कश्मीर'

इससे पहले सरकार ने 'शेर ए कश्मीर पुलिस पदक' का नाम बदलकर जम्मू कश्मीर पुलिस पदक कर दिया था। 'शेर ए कश्मीर' शेख अब्दुल्ला को कहा जाता है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने के महीनों बाद इसे जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक के खिताब से हटा दिया गया था। शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दादा और फारूक अब्दुल्ला के पिता थे। फारूक अब्दुल्ला जब जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने पिता की याद में पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले पदकों पर उनकी फोटो लगा दी थी।

जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री थे शेख अब्दुल्ला

शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री भी थे। 5 दिसंबर 1905 को उनका जन्म और 8 सितंबर 1982 को निधन हुआ। जब शेख अब्दुल्ला की मौत हुई, तब वो राज्य के मुख्यमंत्री थे। इनकी मौत के बाद इनके सबसे बड़े बेटे फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ा। शेख अब्दुल्ला द्वारा रचित एक आत्मकथा आतिशे–चिनार के लिए उन्हें साल 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। 

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