नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान ने कहा है कि हमारे लिए पहला और महत्वपूर्ण लक्ष्य यह है कि हमारे सभी कश्मीरी पंडित भाई और बहन पूरे सम्मान के साथ वापस आएं और बिना किसी खतरे या भय के कश्मीर में रहें। उन्होंने कहा कि उन्हें घाटी बंदूक की नोंक पर छोड़नी पड़ी थी। फारूक खान ने ये बात गुजरात में इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में कही।
उन्होंने कहा, 'हमारे बीच बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर 100% हिंदू राज्य था, जो लोग वहां जाते हैं, उन्हें कश्मीर संग्रहालय का दौरा करना चाहिए और देखना चाहिए कि वहां क्या है, जो आपको प्राचीन कश्मीर इतिहास की स्पष्ट तस्वीर देता है।'
भारत सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर के 2 हिस्से कर दिए थे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 2 अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए थे। इसी के तहत जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल की नियुक्ति हुई।
भाजपा नेता फारूक खान ने 1984 में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में जम्मू-कश्मीर में अपना कैरियर शुरू किया और पुलिस महानिरीक्षक बन गए। पिछले साल जुलाई में इन्होंने राज्यपाल सत्य पाल मलिक के सलाहकार के रूप में पदभार संभाला। वह उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने 1994 में पुलिस के एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया था, उस समय बल का मनोबल कम था। सेना और बीएसएफ द्वारा ऑपरेशन किए जा रहे थे। 2014 में वो बीजेपी में शामिल हो गए।
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