कश्मीर खूबसूरत वादियों वाला राज्य जिसके बारे में कहा जाता है कि "गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त" यानि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं... मगर कश्मीर के हालात बाद में वैसे नहीं रहे और कभी अपने टूरिज्म के लिए विख्यात इस राज्य में आतंकवाद का ऐसा काला साया पड़ा कि हालात बद से बदतर होते चले गए।
केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला किया उसके बाद से राज्य के स्थानीय वाशिंदों में ये सवाल घर कर गया कि इस बदले हालात में राज्य की भौगोलिक स्थिति कैसी होगी कौन उनकी बात सुनेगा और उनके अधिकारों का क्या होगा...ऐसे तमाम सवाल कश्मीरियों के जेहन में आ रहे हैं।
केंद्र सरकार भी इसको वखूबी समझ रही है और वो ऐसी शंकाओं का समाधान भी कर रही है और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब सरकार स्थानीय लोगों को इस फैसले के बारे में विस्तार से बताने में जुट गई है।
NSA अजीत डोभाल खुद लोगों के बीच जाकर कायम कर रहे हैं लोगों का भरोसा
अभी अजीत डोभाल की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वो शोपियां में स्थानीय लोगों से मिल रहे हैं और उनके साथ खाना भी खा रहे थे।
अजीत डोभाल ने शोपियां में पुलिसकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों से भी मुलाकात की। एनएसए अजीत डोभाल ने शोपियां का भी दौरा किया, जो उग्रवाद का केंद्र है और बुरहान वानी आंदोलन के दौरान ग्राउंड जीरो था।
डोभाल जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात पर कड़ी नजर रखते रहे हैं, डोभाल ने ग्राउंड जीरो पर स्थिति की समीक्षा की और केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले के एक दिन बाद कुछ स्थानीय लोगों के साथ मुलाकात की थी।
उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जम्मू और कश्मीर के आम लोगों को किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना चाहिए और आवश्यक आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर प्रदान की जानी चाहिए। इसमें भोजन के साथ-साथ आपातकालीन सेवाएं भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मुद्दों पर तस्वीर साफ की
केंद्र सरकार का मकसद है कि कश्मीरियों के जेहन में अपनी सुरक्षा को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं उसका समाधान होना चाहिए इस बारे में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने गुरूवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कई मुद्दों पर तस्वीर साफ की थी।
पीएम मोदी ने कहा कि नई व्यवस्था में केंद्र सरकार की ये प्राथमिकता रहेगी कि राज्य के कर्मचारियों को, जम्मू-कश्मीर पुलिस को, दूसरे केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां की पुलिस के बराबर सुविधाएं मिलें।
अभी केंद्र शासित प्रदेशों में, अनेक ऐसी वित्तीय सुविधाएं बच्चों की शिक्षा के लिए एजुकेशन अलाउंस, हेल्थ स्कीम, जैसी अनेक सुविधाएं दी जाती हैं, जिनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों को नहीं मिलती। ऐसी सुविधाओं का रिव्यू कराकर, जल्द ही जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों और वहां की पुलिस को भी ये सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
उन्होंने लोगों की शंकाओं का समाधान करते हुए कहा था-आपका जनप्रतिनिधि आपके द्वारा ही चुना जाएगा, आपके बीच से ही आएगा। जैसे पहले विधायक होते थे, वैसे ही विधायक आगे भी होंगे। जैसे पहले मंत्रिपरिषद होती थी, वैसी ही मंत्रिपरिषद आगे भी होगी। जैसे पहले आपके सीएम होते थे, वैसे ही आगे भी आपके सीएम होंगे।
कश्मीर में प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी मगर हाई अलर्ट पर सुरक्षा बल
बताया जा रहा है कि कश्मीर घाटी में प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी ताकि लोग स्थानीय मस्जिदों में जुम्मे की नमाज पढ़ सकें। साथ ही, किसी भी संभावित विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पूरी घाटी में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
अजीत डोभाल ने अधिकारीयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि किसी भी कश्मीरी को परेशान नहीं किया जाए, इसके बाद यह कदम उठाया गया है।
कहा जा रहा है कि जुम्मे पर लोगों के ऐतिहासिक जामा मस्जिद में एकत्र होने की इजाजत नहीं है, लोग अपने इलाके की स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढ़ सकते हैं। जुम्मे की नमाज से पहले पूरे कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
ताकि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के खिलाफ संभावित विरोध प्रदर्शन को रोका जा सके। श्रीनगर के सिविल लाइन्स और डल झील इलाके में लोगों को आवाजाही की छूट देने के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये एहतियाती कदम उठाए गए हैं।
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