श्रीनगर: कश्मीर घाटी में गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है। स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित हुआ, जहां मलिक ने तिरंगा फहराया।
संविधान के अनुच्छेद-370 को रद्द करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद यह जम्मू-कश्मीर में यह पहला स्वतंत्रता दिवस है।
एहतियात के तौर पर कार्यक्रम स्थल तक जाने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया गया। स्टेडियम और बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात रहे। जिन्हें अनुमति मिली हुई थी, केवल उन्हें ही स्टेडियम में जाने दिया गया।
राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेता समारोह में मौजूद नहीं थे, क्योंकि उनमें से अधिकांश को अनुच्छेद-370 रद्द करने के बाद हिरासत में लिया गया है। इस कार्यक्रम में हालांकि भाजपा के कुछ दूसरे नेता शामिल हुए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लश्कर और जैश आतंकी गुट प्रदेश में सक्रिय रहे हैं और खुफिया जानकारी के मुताबिक, आतंकी वारदात को अंजाम दिए जाने की संभावना बनी हुई थी। इसके मद्देजनर सुरक्षा बलों को खासतौर से अलर्ट कर दिया गया था।
कार्यक्रम में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेता मौजूद नहीं थे, क्योंकि उनमें से अधिकांश को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता मौजूद थे।
सभा को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रतिबद्ध है। हजारों कश्मीरी पंड़ितों को 1990 में घाटी से भागने पर मजबूर होना पड़ा था, क्योंकि घाटी में उग्रवाद अपनी चरम सीमा पर था और उन्हें धमकियां मिल रही थी।
मलिक ने कहा कि पथराव की घटनाओं में कमी आई है और आतंकी संगठनों के साथ कश्मीरी युवाओं का जुड़ना भी कम हुआ है।राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के अलावा राज्यपाल ने सुरक्षा बलों द्वारा की परेड की सलामी ली। इसके अलावा कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने रंगारंग नृत्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
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