नई दिल्ली। जावेद अख्तर की कई पहचान है। वो शायर होने के साथ साथ राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी रखते हैं। संसद के अंदर जब वो राज्यसभा के सदस्य थे तो अलग अलग विषयों पर खुल कर राय रखते थे। सीएए के मुद्दे पर भी वो अपनी राय रखते रहे हैं, ये बात अलग है कि उनके बयानों पर पुरजोर विरोध भी होता रहा है।
फैज अहमद फैज को हिंदू विरोधी बताए जाने की उन्होंने आलोचना की है। वो कहते हैं कि यह अपने आप में बेतुका है, सच में इस संबंध में कोई गंभीरता से भी नहीं सोच सकता है। फैज ने अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा पाकिस्तान में गुजारा और वहां उन्हें एंटी पाकिस्तानी कहा जाता था। पाकिस्तान के तानाशाह और राष्ट्रपति रहे जिया उल हक के सांप्रदायिक, कठमुल्लापन के बारे में उन्होंने लिखा था कि हम देखेंगे।
जावेद अख्तर ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में हिंदू विचार को थोपने की कोशिश की जा रही है। सवाल ये है कि भारत के संविधान में क्या लिखा गया है। इस देश को संविधान के जरिए चलाया जाएगा या किसी खास विचार को महत्व दिया जाएगा। इस देश की खासियत अनेकता में एकता की रही है। लेकिन अब सबकुछ एक किए जाने के नाम पर डर का माहौल बनाया जा रहा है। आज समय की मांग है कि देश को बांटने वाली विचारधारा का विरोध होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान और भारत में अंतर ही क्या रह जाएगा।
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