JNU में छात्रों का प्रदर्शन, बीमार प्रोफेसर के एम्बुलेंस को रोका, वीसी बोले- बर्दाश्त के काबिल नहीं

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Updated Oct 28, 2019 | 23:25 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

JNU students protest : जेएनयू के कुछ छात्रों ने एक एम्बुलेंस को कथित तौर पर रोका और बीमार प्रोफेसर को डॉक्टरों से मिलने भी नहीं दिया। वीसी ने कहा कि यह खतरनाक और शर्मनाक है।

JNU students stop sick professor's ambulance during protests
JNU students protest  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के कुछ छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान सोमवार को एक एम्बुलेंस को कथित तौर पर रोका और बीमार प्रोफेसर को डॉक्टरों से मिलने भी नहीं दिया। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने बताया कि सुबह में इंटर होस्टल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) की बैठक जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में हो रही थी जिस दौरान कुछ छात्र जबरन वहां घुस गए। ये छात्र आईएचए के सदस्य भी नहीं हैं।

उन्होंने बताया, ‘समिति के सदस्यों ने छात्रों से बाहर चले जाने और बैठक को बरकरार जारी रखने देने की अपील की, लेकिन छात्र और आक्रामक हो गए और जोर-जोर से नारे लगाने लगे और इसके बाद डीन ऑफ स्टूडेंट्स (डीओएस) की ओर बढ़े।’

इस माहौल में डीओएस उमेश कदम का रक्तचाप (बीपी) काफी बढ़ गया और वह बीमार हो गए लेकिन छात्रों ने अंसवेदनशीलता का परिचय देते हुए एम्बुलेंस को अस्पताल की तरफ बढ़ने भी नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों ने विश्वविद्यालय के डॉक्टरों को भी कदम तक पहुंचने से रोका।

प्रोफेसर उमेश कदम ने कहा कि ऐशे घोष (जेएनयूएसयू अध्यक्ष), साकेत मून (जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष), मोहम्मद दानिश (जेएनयूएसयू संयुक्त सचिव), एक और सीधे तौर पर हंगामे में शामिल हैं। ये चारों और सारिका चौधरी (पूर्व-जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष), ऐजाज अहमद राथर (पूर्व-जेएनयूएसयू जनरल सेक्रेटरी) ने सभी छात्रों को उकसाया।

इस घटना की निंदा करते हुए जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने ट्विटर पर कहा कि जेएनयू प्रशासन इन छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का विचार कर रही है, आज जो हुआ वह बर्दाश्त के काबिल नहीं है बल्कि खतरनाक और शर्मनाक है। रजिस्ट्रार ने बताया कि अभी छात्रों ने यूनिवर्सिटी के हेल्थ सेंटर का घेराव कर रखा है। 

वहीं छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने आरोप लगाया कि कुलपति और उनके लोग विरोध प्रदर्शन को नकारात्मक रूप में दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति ने आज उस संहिता को नष्ट करने का प्रयास किया जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को यहां आने और पढ़ने का अधिकार देता है।

उन्होंने दावा किया कि आईएचए की बैठक शुल्क बढ़ाने, छात्रों को हॉस्टल से बाहर करने के लिए आयोजित हुआ था। यह बैठक जेएनयूएसयू को बिना बुलाए आयोजित की गई थी। हम लोग नहीं बुलाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इस विरोध को नकारात्मक रूप में दिखाया जा रहा है। मून ने कहा, हम हिंसा में लिप्त नहीं हैं लेकिन जेएनयू को बंद करने या उसका निजीकरण करने के प्रशासन के प्रयासों का विरोध करना जारी रखेंगे। छात्र संघ ने मंगलवार को प्रशासन के खिलाफ हड़ताल बुलाई है।

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